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देशभर में 8.8 लाख क्रियान्वयन याचिकाएं लंबित: सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई, हाईकोर्ट्स को शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने का निर्देश 8.8 lakh enforcement petitions pending across the country: Supreme Court expresses concern, directs High Courts to ensure speedy disposal

 सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में क्रियान्वयन याचिकाओं के लंबित होने की खतरनाक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने खुलासा किया कि जिला अदालतों में 8,82,578 क्रियान्वयन याचिकाएं लंबित हैं, बावजूद इसके कि हाईकोर्ट्स को पहले छह महीने के भीतर उनका निपटान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ पेरियम्मा (मृत) टीएचआर एलआरएस और अन्य बनाम वी. राजामणि और अन्य मामले में अपने 6 मार्च, 2025 के आदेश के अनुपालन की निगरानी कर रही थी, जिसने क्रियान्वयन याचिकाओं के निपटान के लिए 6 महीने की समय सीमा निर्धारित की थी।



कोर्ट ने हाईकोर्ट्स से प्राप्त आँकड़ों को अत्यधिक निराशाजनक और खतरनाक बताया। लंबित मामलों की भयावहता सभी हाई कोर्ट्स से संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि निम्नलिखित न्यायक्षेत्रों में लंबित मामलों की संख्या सबसे अधिक है: बॉम्बे: 3.41 लाख मद्रास: 86,148 केरल: 82,997 आंध्र प्रदेश: 68,137 कोर्ट ने नोट किया कि पिछले छह महीनों में 3,38,685 क्रियान्वयन याचिकाओं का निपटान किया गया। फिर भी लंबित मामलों का बैकलॉग विशाल बना हुआ है।

खंडपीठ ने कड़े शब्दों में कहा, "हमारे मुख्य निर्णय में जैसा कि देखा गया यदि डिक्री पारित होने के बाद उसे क्रियान्वित करने में वर्षों और वर्षों लग जाते हैं तो इसका कोई अर्थ नहीं है और यह न्याय का उपहास करने से कम नहीं होगा।" कर्नाटक हाईकोर्ट को फटकार और आगे के निर्देश खंडपीठ ने इस बात पर अपनी नाराजगी दर्ज की कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देशों के बावजूद आवश्यक डेटा प्रस्तुत करने में विफलता दिखाई है। कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दो सप्ताह के भीतर एक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने और तुरंत लंबित और निपटान के अद्यतन आंकड़े प्रदान करने का निर्देश दिया।अपने पिछले निर्देशों को दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट्स को लंबित क्रियान्वयन याचिकाओं के प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए अपनी संबंधित जिला न्यायपालिका के साथ प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा। कोर्ट ने हाईकोर्ट्स से प्रभावी प्रक्रियाएं और निगरानी तंत्र विकसित करने का आह्वान किया। कोर्ट ने अनुपालन की अगली समीक्षा के लिए 10 अप्रैल 2026 की तारीख तय की। साथ ही निर्देश दिया कि क्रियान्वयन याचिकाओं की स्थिति पर संपूर्ण आंकड़े जिनमें मूल पक्ष (original side) पर लंबित मामले भी शामिल हैं, अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को इस आदेश की एक प्रति तत्काल कार्रवाई के लिए सभी हाईकोर्ट्स को भेजने का निर्देश दिया गया।

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