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जबलपुर आबकारी में 25 करोड़ 50 लाख रुपए की एफडीआर मामले में दो सहायक आबकारी आयुक्त (तत्कालीन) को नोटिस जारी!Notice issued to two Assistant Excise Commissioners (then) in Jabalpur Excise in the FDR case of Rs 25 crore 50 lakh!

मामला 2020-21 में शराब दुकानों की खिसारी की बकाया राशि का।

आबकारी विभाग के पक्ष में बनी एफडीआर पर ठेकेदार खा रहे थे करोड़ों रुपए ब्याज ,अब उस ब्याज की वसूली कैसे होगी??*

जबलपुर में विगत कुछ वर्षों से बेहद चौंकाने वाला मामला चर्चा में रहा, जिसमें असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज के नाम से बनी एफडीआर वर्षों तक असिस्टेंट कमिश्नर के कार्यालय में जमा ही नहीं हुई। 



क्या मिलीभगत के कारण ठेकेदारों ने ही रख ली थी एफडीआर। करोड़ों रुपए ब्याज प्रतिवर्ष ठेकेदार लेते रहे जबकि एफडीआर बनी थी असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज जबलपुर के नाम पर। 


आरोप तो यह भी लगे कि एफडीआर जमा करने के कोई प्रयास नहीं किए गए। ठेकेदारों को मौका दिया गया कि वह कोर्ट से जाकर स्टे ले ले। करीब 10 महीने तक स्टे नहीं मिला और एक्साइज विभाग जबलपुर ने एफडीआर भी जमा नहीं कराई। 


विधानसभा में प्रदीप पटेल विधायक मऊगंज ने पूछा तब जवाब दिया कि एफडीआर है ही नहीं। 2025-26 में एसी संजीव कुमार दुबे ने पदस्थ होते ही बैंक और ठेकेदारों के ऊपर दबाव डालकर 25 करोड़ 50 लाख की एफडीआर को कब्जे में लिया।


मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्यकर विभाग ने जबलपुर के तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त सत्यनारायण दुबे एवं रविंद्र मानिकपुरी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर दिया।

वही दूसरी और डिप्टी कमिश्नर (संभागीय उपायुक्त आबकारी जबलपुर) ने भी ना कोई पत्राचार किया और न जानने की कोशिश की कि एफडीआर कहां है और विभाग के पास क्यों नहीं है। 

आबकारी विभाग के पक्ष में बनी एफडीआर पर ठेकेदार खा रहे थे करोड़ों रुपए ब्याज , अब उस ब्याज की कौन करेगा वसूली??


फिलहाल पूरी मध्यप्रदेश का 790 करोड रुपए के शराब खिसारे का मामला न्यायालय में चल रहा है, जबलपुर के वर्तमान असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज ने महाधिवक्ता को किए पत्राचार में माननीय उच्चन्यायालय से अनुरोध कर शासकीय राजस्व की सुरक्षा हेतु जल्द सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया है। वही दूसरी और यदि सरकार भी माननीय उच्च न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखती है तो 790 करोड रुपए अतिरिक्त आय सरकारी खजाने में प्राप्त होंगे।


790 करोड रुपए के आबकारी ख़िसारे की राशि पर प्रदेश के लगभग सभी बड़े ठेकेदारों के नाम हैं। इन ठेकेदारों के नाम पर करोड़ों रुपए की चल अचल संपत्ति है अतः रिकवरी एक महीने के अंदर ही हो जाएगी।

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