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2385 करोड़ का फॉरेक्स घोटाला 2385 crore forex scam

ईडी ने जब्त की क्रिप्टो संपत्तियां, मास्टरमाइंड पावेल स्पेन में गिरफ्तार

देशभर में हड़कंप मचाने वाले OctaFX फॉरेक्स फ्रॉड मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने एक बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने करीब 2,385 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी संपत्तियां जब्त की हैं. साथ ही, इस फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड पावेल प्रोजोरोव को स्पेन की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह आरोपी कई देशों में ऑनलाइन ट्रेडिंग और साइबर फ्रॉड के मामलों में वांछित बताया जा रहा है.



कैसे खुला यह घोटाला

यह मामला तब सामने आया जब पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज की गई. शिकायत में कहा गया था कि कुछ लोगों ने OctaFX नाम से विदेशी मुद्रा में ट्रेडिंग का झांसा देकर बड़ी संख्या में निवेशकों से भारी रकम ठग ली. यह कंपनी आरबीआई की मंजूरी के बिना भारत में फॉरेक्स ट्रेडिंग कर रही थी, जो भारतीय कानूनों के खिलाफ है.

कैसे काम करता था OctaFX का नेटवर्क 

ईडी की जांच में सामने आया कि यह ठगी कई देशों में फैले नेटवर्क के जरिए की जा रही थी. कंपनी ने अपनी गतिविधियों को छिपाने और मनी ट्रेल को जटिल बनाने के लिए अलग-अलग देशों में कई फर्जी कंपनियां बनाईं.

ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स से मार्केटिंग का काम किया जाता था.

स्पेन में सर्वर और बैक ऑफिस संचालित होता था.

एस्टोनिया से पेमेंट गेटवे चलाया जाता था.

जॉर्जिया में तकनीकी सपोर्ट की टीम थी.

साइप्रस में होल्डिंग कंपनी बनाई गई थी.

दुबई से भारत में संचालन किया जा रहा था.

और सिंगापुर के जरिए फर्जी सेवाओं के नाम पर पैसा ट्रांसफर किया जाता था.

यह पूरा नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ठगी का जाल था, जिसे पावेल प्रोजोरोव अपने नियंत्रण में रखता था.

निवेशकों को ऐसे फंसाया गया

कंपनी ने शुरुआत में लोगों का भरोसा जीतने के लिए उन्हें छोटे-छोटे मुनाफे दिए.लोगों को लगा कि यह असली फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है और वे ज्यादा निवेश करने लगे.इसके बाद कंपनी ने फर्जी ट्रेडिंग चार्ट दिखाकर, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर निवेशकों के पैसे डुबो दिए.

नाम की एक योजना भी चलाई, जिसमें किसी व्यक्ति को नए निवेशक जोड़ने पर कमीशन मिलता था. धीरे-धीरे यह पूरी योजना एक पॉन्जी स्कीम में बदल गई यानी पहले निवेशकों को लौटाए गए पैसे, नए निवेशकों के फंड से दिए जाते थे.

पैसों की हेराफेरी का तरीका 

निवेशकों से पैसा UPI, बैंक ट्रांसफर और ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स के जरिए लिया जाता था. इसके बाद यह रकम डमी कंपनियों के खातों में भेज दी जाती थी. वहीं से फर्जी ई-कॉमर्स लेन-देन, सॉफ्टवेयर सेवाओं के आयात या कंसल्टेंसी पेमेंट्स के नाम पर यह पैसा विदेश भेजा जाता था.

ईडी का कहना है कि जिन विदेशी कंपनियों के खातों में यह पैसा गया, वे सभी पावेल प्रोजोरोव के नियंत्रण में थीं.यानी पूरा सिस्टम “फर्जी ट्रेडिंग” से लेकर “मनी लॉन्ड्रिंग” तक, एक ही नेटवर्क के जरिए चलाया जा रहा था.

ईडी की बड़ी कार्रवाई

ईडी ने अब तक करीब ₹2,385 करोड़ की क्रिप्टो संपत्तियां जब्त की हैं.इसमें बिटकॉइन, ईथर और अन्य डिजिटल करेंसी शामिल हैं.जांच एजेंसी ने कई बैंक खातों, डमी कंपनियों और डिजिटल वॉलेट्स को भी ट्रैक किया है.

ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, आगे भी कई लोगों और कंपनियों के खिलाफ नई कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि यह नेटवर्क भारत ही नहीं बल्कि एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व के कई देशों में फैला हुआ है.

निवेशकों के लिए चेतावनी

इस पूरे मामले से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि

किसी भी फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में निवेश करने से पहले यह जांचना जरूरी है कि वह आरबीआई या सेबी से अनुमोदित है या नहीं.

तेज मुनाफे या गारंटीड रिटर्न का वादा करने वाले प्लेटफॉर्म से हमेशा सावधान रहें.

किसी भी एप या वेबसाइट पर बैंक डिटेल देने से पहले उसकी वैधता की जांच करें.


आगे की जांच 

पावेल प्रोजोरोव की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी उसकी भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पर काम कर रही है.एजेंसी को उम्मीद है कि उसके गिरफ्तार होने के बाद इस फॉरेक्स घोटाले से जुड़ी पूरी साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा.

यह मामला देश के हाल के वर्षों में सामने आए सबसे बड़े ऑनलाइन वित्तीय घोटालों में से एक माना जा रहा है.

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