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पैर में दिखता है हार्ट अटैक का 1 लक्षण, 99% लोग करते हैं इग्नोर, समझ गए तो बच जाएगी जान One symptom of a heart attack is visible in the leg, 99% of people ignore it, if understood then life can be saved.

अगर आपको पैरों में अचानक दर्द, सूजन, त्वचा का रंग बदलना या ठंडापन महसूस होना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह दिल से जुड़ी किसी खतरनाक बीमारी का संकेत हो सकता है, इससे पहले कि हार्ट अटैक हो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।


हार्ट अटैक एक जानलेवा कंडीशन है जिसके लक्षणों का कई बार पता नहीं चाप पाता है। कुछ लोग मानते हैं कि पैर में दर्द हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। लेकिन डॉक्टर मानते हैं कि पैर दर्द हार्ट अटैक का लक्षण नहीं होता बल्कि यह दिल की अन्य बीमारियों का संकेत हो सकता है।

हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन से भरपूर खून नहीं पहुंच पाता। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाती है। अगर बात करें हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों की तो सीने में दर्द या दबाव महसूस होना, हाथों, गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ, मतली या उल्टी आना, ठंडा पसीना आना और चक्कर या हल्कापन महसूस होना शामिल हैं।अगर ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इसे नजरअंदाज न करें और बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह हार्ट अटैक का शुरुआती संकेत हो सकता है। चलिए समझते हैं कि क्या पैरों में दर्द हारता अटैक का संकेत हो सकता है?

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार (ref.) पैरों में दर्द कई बार दिल से जुड़ी बीमारियों का संकेत हो सकता है, खासकर तब जब शरीर में खून का प्रवाह ठीक से न हो। पेरिफेरल आर्टरी डिजीज ऐसी ही एक कंडीशन है जिसमें पैरों तक जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज या संकुचन हो जाता है, जो धमनियों में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल के जमा होने से होता है। इस वजह से पैरों में दर्द या जलन, भारीपन, पीला या नीला रंग, पैरों के बाल झड़ना और तलवों पर ऐसे जख्म जो आसानी से ठीक न हों जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

जन्मजात हृदय रोग एक ऐसी कंडीशन है जिसमें बच्चे के जन्म से ही दिल की संरचना में गड़बड़ी होती है, जैसे दिल की दीवारें, वाल्व सही तरीके से विकसित नहीं होतीं। इस बीमारी के कारण त्वचा या होंठों का नीला पड़ जाना, लगातार थकान महसूस होना, सांस लेने में परेशानी, तेज धड़कन या दिल से असामान्य आवाज आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में बच्चों को पैरों या टांगों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है।

यह एक गंभीर कंडीशन जिसमें पैरों की नसों में खून का थक्का बन जाता है। यह थक्का कभी-कभी खतरनाक रूप से फेफड़ों या दिल तक पहुंच सकता है, जिससे जान का खतरा भी हो सकता है। इसके लक्षणों में पैरों में सूजन आना, पिंडलियों या जांघों में दर्द होना, त्वचा का लाल या गर्म महसूस होना और चलने में तकलीफ शामिल हैं।

जिससे पैरों और टखनों में सूजन आ जाती है। इसके साथ ही मरीज को सीने में भारीपन महसूस होता है, भूख कम लगती है, लगातार थकान और कमजोरी बनी रहती है और थोड़े से काम पर भी सांस फूलने लगती है।

डॉक्टर यह जानने के लिए कि पैर दर्द दिल से जुड़ा है या नहीं, सबसे पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं और शारीरिक जांच करते हैं। इसके बाद कुछ जरूरी टेस्ट किए जाते हैं, जैसे एंकल-ब्रैकियल इंडेक्स टेस्ट, जिसमें पैरों और हाथों के ब्लड प्रेशर की तुलना कर ब्लॉकेज की जांच की जाती है। इसके अलावा CT एंजियोग्राफी या MRI एंजियोग्राफी जैसे स्कैन के जरिए खून की नलियों की फोटो ली जाती है ताकि ब्लॉकेज या किसी असामान्यता का पता लगाया जा सके।

पैरों में दर्द को हल्के में न लें क्योंकि यह किसी गंभीर दिल से जुड़े रोग का संकेत हो सकता है। इसलिए अगर पैरों में दर्द के साथ सांस फूलना, सीने में भारीपन या थकान महसूस हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।

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