दिल्ली: 23 सितंबर, 2016 को भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट के करीबन 250 सैनिक INDRA-2016 नाम के 11 दिवसीय संयुक्त अभ्यास के लिए रूस के व्लादिवोस्तोक पहुंचे। इस अभ्यास में रूसी सेना के भी उतने ही सैनिक शामिल थे। उसी दिन, 70 रूसी सैनिक पाकिस्तान में पहले पाकिस्तान-रूस संयुक्त सैन्य अभ्यास 'द्रुज्बा-2016' के लिए पहुंचे। ये एक अजीब संयोग था। उरी हमले के कुछ दिनों बाद ही आयोजित इस अभ्यास ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया। अधिकांश भारतीयों को यह अपने दीर्घकालिक सहयोगी द्वारा विश्वासघात जैसा लगा। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आए और दोनों देशों के रिश्तों को और नई ऊंचाई दी। वहीं, पाकिस्तान को रूस ने कभी करीब नहीं आने दिया। इसकी एक बानगी हाल ही में तब देखने को मिली, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के इंतजार करने के बाद भी पुतिन उनसे नहीं मिले। ऐसे में यह सवाल अक्सर उठता रहा है कि आखिर पाकिस्तान रूस से भारत जैसी दोस्ती क्यों नहीं कर पाया और रूस का वो वादा क्या है?
शहबाज शरीफ को पुतिन से मिले बिना लौटना पड़ा
हाल ही में तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबाद में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शांति एवं विश्वास मंच में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी पहुंचे थे। इस सम्मेलन से इतर सभी सदस्य देशों के राजनेताओं ने एक दूसरे के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की। इसी में एक बैठक शहबाज शरीफ की व्लादिमीर पुतिन के साथ होने वाली थी। मगर, 40 मिनट तक इंतजार करने के बाद पुतिन शहबाज से नहीं मिलने आए। दरअसल, उस वक्त पुतिन तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ द्विपक्षीय बैठक में व्यस्त थे। काफी इंतजार के बाद शहबाज उतरे हुए मुंह से बैठक से निकल गए।
भारत की कीमत पर पाकिस्तान से संबंध नहीं
indiafacts.org.in पर छपे एक लेख के अनुसार, हालांकि, भारत-रूस साझेदारी की व्यापक और रणनीतिक प्रकृति को देखते हुए BRICS, G-20 और डिफेंस के मामले में रूस ने यह पहले ही साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ मॉस्को की सहभागिता भारत के साथ उसके संबंधों की कीमत पर नहीं होगी। रूस ने भारत को यह वचन भी दिया है कि वह किसी भी कीमत पर घातक हथियार पाकिस्तान को नहीं बेचेगा, जो भारत के हितों के खिलाफ हो सकता है।
डिफेंस एक्सपर्ट बोले-भारत का सबसे भरोसेमंद है रूस
रक्षा विशेषज्ञों ने भारत के सबसे भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में रूस की स्थिति की पुष्टि की है, जिसमें मॉस्को के निरंतर समर्थन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की तत्परता और सह-उत्पादन के प्रति खुलेपन पर प्रकाश डाला गया है। रक्षा और वित्त मंत्रालयों में अपनी सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू ने रूस को एक निस्संदेह और विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष की स्थितियों में रूस की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली निर्णायक साबित हुई और S-500 की पेशकश भारत के लिए एक और बड़ा अवसर है।
एक्सपर्ट ने कहा-रूस-भारत की दोस्ती किसी तीसरे से प्रभावित नहीं
दक्षिण एशिया विशेषज्ञ और कार्नेगी मॉस्को सेंटर के परमाणु अप्रसार कार्यक्रम के एसोसिएट रहे पेट्र टोपीचांकोव ने 2016 में कहा था-पाकिस्तान रूस की भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी का स्थान नहीं ले सकता और न ही उसे प्रभावित कर सकता है। यह बिल्कुल असंभव है। रूस की प्राथमिकताएं बहुत स्पष्ट हैं। चाहे नई दिल्ली वाशिंगटन के साथ अपने संबंधों में कितने भी समय तक सुखद दौर का आनंद ले, भारत और रूस दोनों समझते हैं कि उनके संबंधों को किसी भी तीसरे पक्ष द्वारा प्रभावित नहीं किया जा सकता है।

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