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MP में इंजीनियरिंग कॉलेज डिजी लॉकर में अपलोड माइग्रेशन की कॉपी नहीं मान रहे; शपथ पत्र बनवाने का दबाव Engineering colleges in MP are not accepting migration copies uploaded to DigiLocker; pressure is being put on them to produce affidavits.

 

सत्र 2025–26 में इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वाले छात्रों के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है। इंजीनियरिंग कॉलेजों ने विद्यार्थियों से माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सीबीएसई से अब तक माइग्रेशन की हार्ड कॉपी न मिलने के कारण छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं। सीबीएसई ने सभी छात्रों का माइग्रेशन डिजी लॉकर में उपलब्ध करा दिया है। .



मगर कई इंजीनियरिंग कॉलेज इसे मानने से इंकार कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन अपनी शर्तें थोपकर उन्हें परेशान कर रहा है। कॉलेज का तर्क है कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) डिजी लॉकर की कॉपी को वैध नहीं मानता। इसलिए विद्यार्थियों से 100 रुपये के स्टांप पर शपथ पत्र जमा करने के लिए कहा है। इससे छात्रों पर अनावश्यक आर्थिक और मानसिक बोझ बढ़ रहा है।

टीसी जमा करने पर जोर दे रहे

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी ने छात्रों के लिए किसी तरह की ऐसी बाध्यता नहीं रखी है। यहां न तो माइग्रेशन की मांग की गई है और न ही किसी प्रकार का शपथ पत्र। विभाग सिर्फ टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) जमा करने पर जोर दे रहा है। इससे यह साफ होता है कि अलग-अलग कॉलेज अपनी सुविधानुसार अलग नियम लागू कर रहे हैं। उधर इस मामले में आरजीपीवी ने स्पष्ट किया है कि कालेजों की यह मनमानी गलत है।

विद्यार्थियों के लिए बढ़ गया तनाव

विश्वविद्यालय ने कहा है कि यदि कोई कॉलेज डिजी लॉकर के दस्तावेज को अस्वीकार कर रहा है और विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव डाल रहा है तो छात्र सीधे शिकायत दर्ज कराएं। विश्वविद्यालय का कहना है कि डिजी लॉकर भारत सरकार का अधिकृत प्लेटफार्म है और इसके दस्तावेज मान्य होते हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया पहले ही काफी जटिल होती है। अब अतिरिक्त शपथ पत्र और कागजी कार्रवाई से तनाव और बढ़ गया है।

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