भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के सत्र में मंगलवार को एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, जब किसानों की उपेक्षा और कृषि नीतियों की चर्चा के दौरान बहस अचानक ‘आलू से सोना’ और ‘प्याज से शैंपू’ जैसे बयानों पर मुड़ गई। सदन में मौजूद पक्ष और विपक्ष इस अप्रत्याशित मुद्दे पर आमने-सामने आ गए और माहौल हल्का-फुल्का होते हुए भी तीखी नोकझोंक की दिशा में मुड़ गया।
बहस के बीच बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा भी खड़े हुए और उन्होंने सदन से इसकी इजाजत मांगी कि इस विषय पर विस्तृत चर्चा की जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि विपक्ष द्वारा किए जा रहे ऐसे दावे किसानों को गुमराह कर रहे हैं या नहीं। सदन में किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से रखा जा रहा था-फसल नुकसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य, और कृषि सुधार जैसे गंभीर मुद्दों पर वार्तालाप चल रहा था। लेकिन अचानक विपक्ष की ओर से पुराने राजनीतिक बयानों का जिक्र किया गया कि किस तरह कभी ‘आलू से सोना निकाला जाएगा’ तो कभी ‘प्याज से शैंपू बनाया जाएगा’ जैसे वादे किए गए
। विपक्ष का आरोप था कि सरकार किसानों को ऐसे अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक दावों के सहारे बहकाती रही है, जिससे किसान भ्रामक उम्मीदों का शिकार होते रहे। इसी बहस के दौरान रामेश्वर शर्मा ने कहा कि अगर विपक्ष वास्तव में किसानों के हित में ईमानदार बहस चाहता है, तो पहले ऐसे बयानों की सच्चाई और स्रोत पर स्पष्टता देनी होगी। उन्होंने सदन से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर उन्हें बोलने की अनुमति दी जाए, ताकि जनता और किसानों के सामने यह तथ्य रखा जा सके कि इस तरह के दावों का वास्तविक उद्देश्य क्या था और इन्हें किस संदर्भ में कहा गया था। सदन में कुछ पल के लिए माहौल हास्यपूर्ण हो गया, लेकिन जल्द ही बहस फिर गंभीर मोड़ ले गई।
विपक्ष का कहना था कि किसानों से जुड़े वादों और घोषणाओं को सरकार ने हमेशा हल्कापन दिखाते हुए पेश किया है, जिसका असर यह हुआ कि आज भी किसान वास्तविक समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं सत्ता पक्ष का तर्क था कि विपक्ष मुद्दों की गंभीरता से भटकाकर सदन को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है और मुख्य कृषि मुद्दों से ध्यान हटाना चाहता है। कुल मिलाकर यह बहस सदन की कार्यवाही का एक ऐसा हिस्सा बन गई जिसने गंभीर कृषि मुद्दों पर बातचीत के बीच हल्के-फुल्के लेकिन विवादित बयानों की याद दिला दी। अब देखने वाली बात यह है कि सदन आगे इस विषय पर किस तरह निर्णय लेता है और क्या रामेश्वर शर्मा को इस पर विस्तृत बोलने की अनुमति मिल पाती है या नहीं।
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