प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा पर हैं. पीएम की इस यात्रा का मकसद पश्चिम एशिया और अफ्रीका में रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करना है. भारत ने ये पहल तब कि है जब जियोपॉलिटिकल माहौल ट्रेड की खींचतान, एनर्जी की समस्या, सुरक्षा संकट और दूसरी रणनीतिक और आर्थिक दिक्कतों से घिरा हुआ है. वह सोमवार को जॉर्डन पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया.
जॉर्डन की राजधानी अम्मान में नरेंद्र मोदी की किंग अब्दुल्लाह II और प्रधानमंत्री जफर हसन से मुलाकात की चर्चा दुनिया भर में है, क्योंकि जॉर्डन पूरे मिडिल ईस्ट में सबसे अनोखी ताकत है. भारत के इस देश के साथ रिश्ते मजबूत करना एक संकेत की ओर इशारा कर रहा है कि भारत जैसे विश्व में अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहता है, ऐसे मध्य पूर्व में भी वह सऊदी अरब और ईरान से अलग दूसरी ताकतों के साथ रिश्ते मजबूत कर अपने हित साधेगा
जॉर्डन की विदेश नीति उसे दूसरे मिडिल ईस्टर्न देशों से अलग बनाती है. जहां मध्य पूर्व के देश अमेरिका, सऊदी अरब या ईरान की पाले में नजर आते हैं, वहीं जॉर्डन ने अरब देशों के साथ-साथ इजराइल और पश्चिमी देशों के साथ भी अच्छे संबंध स्थापित किए हैं.
जॉर्डन की साइलेंट ताकत
जॉर्डन की रणनीतिक स्थिति और इसका क्षेत्रीय शांति में योगदान का लंबा इतिहास रहा है. किंग अब्दुल्लाह II का परिवार इस देश में करीब 1400 सालों से शासन कर रहा है. माना जाता है उनके हशेमाइट परिवार के रूट्स पैगंबर मोहम्मद के परिवार से मिलते हैं. हशेमाइट किंगडम ने अक्सर अरब के संघर्षों (खासकर फिलिस्तीन-इजराइल) में मध्यस्थता की है और क्षेत्रीय सुरक्षा की वकालत करता रहा है, ये सब इसे मध्य पूर्व का एक केंद्रीय देश बनाते हैं.
पूरे अरब में पकड़ बनाने के लिए जरूरी हैं जॉर्डन से संबंध
जॉर्डन पश्चिम एशिया में एक अहम जियोपॉलिटिकल हब की तरह है, जिसकी सीमाएं इराक, सीरिया, इजराइल और फिलिस्तीनी क्षेत्रों से लगती हैं, जिससे पूरे क्षेत्र के लिए यह बेहद जरूरी हो जाता है. भारत का यहां विस्तार भारत की अन्य अरब देशों में भी पकड़ मजबूत करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री के दौरे से भारत और जॉर्डन के रिश्तों को मिली नई उड़ान
नरेंद्र मोदी का यह दौरा ऐसे समय हुआ जब दोनों देश राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. इस दौरे में भारत और जॉर्डन भविष्य की दोस्ती का एक शेयर विजन रखा. जिसमें जॉर्डन के साथ संबंधों को और गहरा करने के लिए 8-पॉइंट का शेयर विजन रखा है. जिसमें व्यापार और आर्थिक सहयोग, फर्टिलाइजर और खेती, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा,क्रिटिकल ऐण्ड स्ट्रैटेजिक मिनरल्स, सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन और लोगों के बीच संबंध शामिल हैं.

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