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भारत-नीदरलैंड सहेजेंगे 4500 साल पुरानी पोर्ट सिटी लोथल की विरासत, जानें प्लानIndia and the Netherlands will preserve the heritage of the 4500-year-old port city of Lothal; learn about the plan.

 भारत और नीदरलैंड ने गुजरात के लोथल की समुद्री विरासत को सहेजने के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए हैं। यह लोथल में नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्पलेक्स (NMHC) के निर्माण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है। यह समझौता विदेश मंत्री एस जयशंकर और डच विदेश मंत्री डेविड वैन वील के बीच हुई द्विपक्षीय चर्चा के दौरान हुआ। लोथल में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय की ओर से नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्पलेक्स (NMHC) तैयार हो रहा है। जिसमें इस समझौते के बाद एम्स्टर्डम स्थित नेशनल मैरीटाइम म्यूजियम भी सहयोग करेगा।


लोथल में मैरीटाइम्स म्यूजियम

भारत और नीदरलैंड के बीच इस समझौते का मकसद मैरीटाइम्स म्यूजियम की योजना और डिजाइन तैयार करने में आपसी जानकारी और तकनीकी दक्षता को अपनाना है, ताकि चीजों को सहेजने और संरक्षण के लिए बेहतर से बेहतर प्रक्रिया का आदान-प्रदान हो सके। इस साझेदारी के दौरान दोनों देश संयुक्त प्रदर्शनी लगाएंगे, आपसी तालमेल के साथ रिसर्च में जुटेंगे और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से जुड़े कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे।

प्रमुख पर्यटन स्थल बनेगा लोथल

दोनों देशों में हुआ यह एमओयू आगंतुकों की आपसी भागीदारी, शिक्षा और जनसंपर्क को बेहतर बनाने के लिए नए तरीकों को अपनाने में भी प्रोत्साहित करेगा। इससे म्यूजियम का अनुभव और भी समृद्ध और आपस में इंटरैक्टिव बनेगा। कुल मिलाकर यह म्यूजियम भारत की समृद्ध प्राचीन समुद्री विरासत को दुनिया के सामने लाने में सहायता करेगा। यह लोथल को दुनिया का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

लोथल का प्राचीन समुद्री इतिहास

गुजरात में खंभात की खाड़ी के नजदीक स्थित लोथ भारत का सबसे पुराना बंदरगाह शहर है। यह शहर भोगावो और साबरमती नदियों के बीच है। मोहनजोदड़ो की तरह ही सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े लोथल का मतलब भी मृतकों का टीला है। 4,500 साल पुराना यह शहर प्राचीन भारत में समृद्ध टाऊन प्लानिंग का बेहतरीन उदाहरण है, जो सिंधु घाटी सभ्यता की पहचान रही है। यहां भी सड़कें 90 डिग्री पर एक-दूसरे को काटती थीं और यहां पूर्ण रूप से विकसित ड्रेनेज सिस्टम भी मौजूद था। लोथल में एक आयताकार बेसिन मिला है, जिसे डॉकयार्ड कहा जाता है। यही डॉकयार्ड यहां हड़प्पावासियों की समुद्री गतिविधियों को साबित करता है।

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