आतंक फैलाने वाली मानसिकता और इनहे आश्रय देने वाले नपुंसक पोषकों को चुनौती देना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। -सरफ़राज़ हसन
हर तरह के आतंकवाद, आतंकवादियों और ऐसे नापाक इरादा रखने वालों के मददगारों की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ। आतंक के विरुद्ध उठ खड़ा होना होगा प्रत्येक भारतीय को क्योंकि यह आतंकवाद सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक सुनियोजित अपराध है। निर्दोष जीवन ले लेना, हँसते खेलते परिवारों को तबाह कर देना, समाज में भय और अविश्वास का बीज बो देना ये सब अवैध, अमानवीय और घिनौने कृत्य हैं जिनका किसी भी हाल में कोई औचित्य नहीं हो सकता और यह सब करने वालों को किसी भी क़ीमत पर माफ़ नहीं किया जाना चाहिए।
मैं उन लोगों, समूहों और विचारधाराओं की कड़ी निंदा करता हूँ जो अपने नापाक इरादों के चलते निर्दोषों की जान लेते हैं और हमारे सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की लगातार कोशिश करते हैं।
आतंकवादी हिंसा केवल एक तत्काल शारीरिक विनाश नहीं होती.. बल्कि यह सोच, संस्कार और भविष्य पर भी हमला है। बच्चों के मन से मासूमियत छीन देना, माता-पिता की आँखों में जीवनभर का दर्द भर देना, रोज़मर्रा की आम गतिविधियों को भय की क़ैद में डाल देना ही इस नपुंसक आतंकवाद की विरासत है। ऐसे कृत्य को रचने वालों को सभ्य समाज में कतई स्थान नहीं दिया जा सकता, उन्हें समाज द्वारा सार्वजनिक रूप में कठोरता के साथ नकारा जाना चाहिए। हमारे समाज मे हिंसा और हत्या किसी भी विचार का समाधान नहीं है, हिंसा से केवल और हिंसा, बदला और पीड़ा पैदा होती है। यह तबाही न केवल वर्तमान पीढ़ी को प्रभावित करती है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के जीवन को भी अँधेरे में धकेल देती है, हमें सामूहिकता के साथ यह दो काम करने होंगे।
पहला..एक भारतीय नागरिक और ज़िम्मेदार शहरी होने के नाते हमारी जवाबदेही इस संकट के सामने दो स्तरों पर है। पहला, हमें आतंकवाद की कड़ियों को हर क़ीमत पर तोड़ना होगा। उसकी वित्तपोषण, भर्ती, प्रचार और आंतरिक समर्थन को समाप्त करने में अपनी जागरूकता और देशभक्ति को सर्वोच्च रखना होगा। यह काम केवल सुरक्षा एजेंसियों तक सीमित नहीं है। समाज, शिक्षा संस्थान, धार्मिक और सामुदायिक नेता, और प्रत्येक नागरिक का योगदान ज़रूरी है। झूठ, घृणा और भ्रांतियों पर आधारित विचारधाराओं को उजागर करना और उन्हें लोकतांत्रिक बहसों के माध्यम से अस्वीकार करना होगा। हमें नफरत फैलाने वाले अपने आस पास के लोगों को पहचान कर चिन्हित करना होगा और सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करना होगा, ज़हर उगलते भाषणों और अतिवादी सामग्री का मुकाबला करने के लिए ठोस समाज को संगठित करने की पहल करनी होगी।
दूसरा.. पीड़ितों के साथ संवेदना और न्याय दोनों सुनिश्चित करना ज़रूरी है। आतंकवादी हमलों से ज़ख्मी और प्रभावित लोगों को भावनात्मक, आर्थिक और कानूनी समर्थन दिया जाना चाहिए। न्याय प्रणाली को सक्षम और पारदर्शी बनाकर अपराधियों को साबित मामलों में कड़ी व दर्दनाक सज़ा दी जानी चाहिए। शातिरों के खिलाफ कानून का शासन ही अंतिम और सबसे बड़ा उत्तर है, बदले की संस्कृति और अतार्किक हिंसा किसी भी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती। यह ध्यान रखना चाहिए कि जड़ को न पहचानकर सिर्फ़ इलाज करना सतत समाधान नहीं। शिक्षा, सामाजिक समावेशन और विचारों के शांतिपूर्ण आदान-प्रदान से ही अतिवाद की बढ़ोतरी को रोका जा सकता है। युवा पीढ़ी को संगठित कर वैकल्पिक, सकारात्मक रास्ते दिए जाएँ। धार्मिक और सामाजिक नेताओं के मातहत न होकर मिलजुल कर अतिवाद के विरुद्ध मज़बूती से काम करना होगा। हर प्रकार के देशद्रोहियों को चुनौती देना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
मैं कहना चाहूंगा कि, यह स्पष्ट है, "आतंकवाद और उसके नापाक इरादों को हम कभी भी सामान्य या स्वीकार्य नहीं मान सकते। जिन लोगों ने इस धरती पर अमन, सहिष्णुता और मानव गरिमा के लिए संघर्ष किया है, उनका इस महान देश के लिए देखा गया सपना हम आतंकवाद द्वारा कलंकित नहीं होने देंगे चाहे जो हो जाये" हम सबका कर्तव्य है कि हम हिंसा की हर शक्ल की निंदा करें, पीड़ितों का साथ दें और संवैधानिक तरीकों से ऐसे अपराधियों का सामना करें। आतंकवादियों को याद रखना चाहिए उनकी हिंसा हमें न तो तोड़ सकती है और न ही डराने में कामयाब होगी। हमारी एकता, समझदारी, साझेदारी और कानून में विश्वास ही उनका सबसे मज़बूत जवाब है।
अंत में मैं पुनः भारत सहित विश्वभर में होने वाली हर प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों और बेगुनाह मासूम लोगों को क़त्ल करने वाली मानवता विरोधी विचारधारा की कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूँ और अपना विरोध जताते हुए अपनी सरकार से अपील करता हूँ कि देशद्रोही गतिविधियों में शामिल आतंकियों को ऐसी दर्दनाक सज़ा दी जाए कि ऐसा करने वालों की साथ पुश्तों में फिर कोई देश के देशवासियों के विरुद्ध ऐसी नापाक हरकत करने की बात सोचकर भी सहर उठे।
दिल्ली में हाल ही में हुई भयावह आतंकी घटना में मृत आत्माओं के प्रति मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
आलेख:- सरफ़राज़ हसन (रंगकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता)
नेशनल अवॉर्डी भारत सरकार
पूर्व सदस्य, राज्य हज कमेटी म.प्र. शासन
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