घर में कितनी चांदी रख सकते हैं? इसको लेकर RBI और आयकर के नियमों के बारे में पढ़ें। रसीद रखनी सबसे जरूरी और डिजिटल निवेश को लेकर भी आपको कुछ जरूरी बातें पता होना जरूरी है।
भारत में लोग अपने घरों में चांदी के सिक्के, गहने और बर्तन दबाए रखते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इस संपत्ति को लेकर कानूनी तौर पर क्या नियम है?
यानी आप अपने घर में कितनी चांदी रख सकते हैं? यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि RBI और आयकर विभाग के इसको लेकर क्या नियम हैं। आयकर विभाग को यह जानने का अधिकार है कि आपने यह संपत्ति कैसे प्राप्त की। इसलिए, चांदी खरीदते समय बिल या रसीद को सुरक्षित रखना अनिवार्य है। जांच के दौरान अगर आप खरीद का प्रमाण नहीं दिखा पाते हैं, तो वह अघोषित संपत्ति मानी जा सकती है, जिसपर टैक्स और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
बिल और रसीद रखनी जरूरी क्यों?
हमेशा चांदी खरीदते टाइम रसीद या बिल जरूर रखें। ऑनलाइन खरीदारी के मामले में ई‑मेल या इनवॉइस को सेव रखें। इसके अलावा चांदी अगर विरासत में मिली है, तो उसके दस्तावेज (वसीयत, वारिस प्रमाणपत्र) तैयार रखें।
डिजिटल निवेश करते टाइम रखें ध्यान
चांदी के अलावा, सिल्वर ईटीएफ (ETF) और म्यूचुअल फंड जैसे डिजिटल खरीददारी का रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है। इनमें निवेश करने पर टैक्स नियम वही रहते हैं, लेकिन डिजिटल रिकॉर्ड होने के कारण संपत्ति को ट्रैक करना और प्रमाणित करना आसान हो जाता है।
चांदी को घर में रखने प RBI के नियम
दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सोने की तरह चांदी पर कोई निश्चित सीमा नहीं तय की है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, आप घर में किसी भी मात्रा में चांदी रख सकते हैं, बशर्ते वह कानूनी रूप से खरीदी गई हो या विरासत में मिली हो। इसका मतलब यह है कि व्यक्तिगत निवेशकों के लिए चांदी के भौतिक रूप (सिक्के, गहने, बर्तन) पर कोई अधिकतम सीमा नहीं है। भले ही चांदी रखने की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन आयकर विभाग यह कभी भी जानने का अधिकार रखता है कि आपने इस चांदी को कैसे प्राप्त किया।
यानी चांदी को घर में रखने पर कोई कानूनी सीमा नहीं है, लेकिन अगर आप चांदी की खरीद पर टैक्स रिटर्न में घोषणा नहीं करते और रसीद नहीं दिखा पाते, तो वह अघोषित संपत्ति माना जा सकता है। वहीं सिल्वर ETF पर भी बाकी इक्यूटी निवेशों की तरह ही टैक्स नियम लागू होते हैं, साथ ही लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स भी देना पड़ता है।

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