भोपाल: मध्य प्रदेश में सरकार धान और गेहूं की खरीदी नहीं करेगी. मुद्दा 72 हजार करोड़ के कर्ज का है. जिसके बाद सरकार ने केन्द्र सरकार से धान और गेंहू की सीधी खरीदी का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस विषय को लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को चिट्ठी भी लिखी है. ये मामला सामने आने के बाद हमलावर हुई कांग्रेस में कमलनाथ से लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी तक सवाल उठा रहे हैं कि भाजपा सरकार एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू और धान की खरीदी करने की प्रक्रिया से हाथ खींच रही है.
गेहूं धान की खरीदी और सरकार की चिट्ठी
मध्य प्रदेश सरकार गेहूं धान की खरीदी नहीं करेगी. इसके संबंध में अनुरोध पत्र लिखा गया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ये पत्र केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि "देश में कुल उपार्जित मात्रा में प्रदेश का योगदान गेहूं से लगभग 26 प्रतिशत और चावल में 6 प्रतिशत है. इससे प्रदेश के किसानों का हित भी संरक्षित होता है और प्रदेश के साथ अन्य राज्यों की गरीब जनता भी लाभान्वित होती है.
पत्र में बताया गया है कि प्रदेश में उपार्जन पिछड़े वर्षों में बढ़कर गेहूं में 77.74 लाख मीट्रिक टन और धान में 43.49 लाख मीट्रिक टन हो गया है. पत्र में विशेष उल्लेख है कि इस उपार्जन योजना में बैंकों से ली गई उधार राशि 72 हजार करोड़ है. जिसके भुगतान में दिक्कत आ रही है. पत्र में ये अनुरोध किया गया है कि केन्द्र सरकार धान और गेहूं सीधा खरीदे."
धान और गेंहू की खरीदी पर नेता प्रतिपक्ष के सवाल
प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने धान और गेहूं की खरीदी नहीं करने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि "तत्काल खरीदी शुरू की जाए. नेता प्रतिपक्ष ने कहा- धान और गेहूं की खरीदी अब मध्य प्रदेश सरकार नहीं करेगी. सरकार का कहना है कि हमारे पास पैसे नहीं हैं, हम कर्ज में डूबे हुए हैं. जब धान और गेहूं की खरीदी का समय आता है, तब आप जिम्मेदारी केंद्र के पाले में डाला
आपने चुनावों में वादा किया था कि हम ₹2700 में गेहूं और ₹3100 में धान खरीदेंगे. दो साल होने को आए, किसान अब भी परेशान हैं. बड़े-बड़े कार्यक्रमों में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं. यह प्रदेश की जनता का पैसा है. उस समय आपको कर्ज की बात क्यों नहीं याद आती? जब किसानों की खरीदी का समय आता है, तब आपको कर्ज याद आता है. अपने हेलीकॉप्टर और प्लेन में आपको कर्ज नहीं दिखता. मुख्यमंत्री जी, आप तत्काल धान और गेहूं की खरीदी शुरू करें, किसानों के दुख-दर्द को समझें यही मेरा आपसे अनुरोध है.
बढ़ी हुई MSP पर खरीद का वादा, अब हाथ खींच लिया
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान सामने आया है. उन्होंने इस मुद्दे पर कहा कि "ये तो प्रदेश के करोड़ों किसानों को गंभीर संकट में धकेलने की प्रक्रिया है. जिस बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के किसानों से गेहूं और धान का बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का चुनावी वादा किया था. अब वही बीजेपी सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीदी करने की प्रक्रिया से हाथ पीछे खींच रही है."
प्रदेश कांग्रेस अधअयक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि "मैं सरकार के इस निर्णय का विरोध करता हूं. इस निर्णय से किसान को फिर से अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई औने पौने दामों पर बाजार की शर्तों पर निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
गोविंद सिंह ने दिया जवाब
वहीं विपक्ष के सवालों पर खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बयान दिया है. गोविंद सिंह ने कांग्रेस पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार किसानों की सरकार है. एमएसपी पर खरीदी के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार किसान की फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदेगी. हम पहले भी खरीदते रहे हैं, आगे भी खरीदेंगे.
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केंद्रीकृत होने से किसानों को नहीं पड़ेगा फर्क
मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि खरीदी की केन्द्रीकृत व्यवस्था से किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पंजीयन और खरीदी केंद्र और सोसायटी से खरीदी की व्यवस्था पहले जैसी रहेगी. विकेंद्रीकृत खरीदी व्यवस्था की जगह केंद्रीकृत व्यवस्था में केवल एकाउटिंग की व्यवस्था परिवर्तित होगी. विकेंद्रीकृत व्यवस्था में खरीदी का शुरूआती खर्च राज्य सरकार को उठाना होता है. कई बार केंद्र से राशि मिलने में काफी समय लग जाता है, जिससे वित्तीय व्यवस्था प्रभावित होती है.
विकेंद्रीकृत व्यवस्था की जगह केंद्रीकृत व्यवस्था लागू होने पर राज्य का वित्तीय भार कम होगा. सरकार हर स्थिति में किसानों से एमएसपी पर गेहूं और धान खरीदती रहेगी. कांग्रेस किसानों को बरगलाने से बाज आये और राजनीति करना बंद करे.

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