नई दिल्ली। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्थित एक मस्जिद पर नमाज के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा कथित बमबारी किए जाने का सनसनीखेज आरोप सामने आया है। इस घटना में दो पश्तून नागरिकों के घायल होने की जानकारी पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) हालैंड ने अपने आधिकारिक बयान में दी है। मस्जिद पर हुए इस हमले ने पूरे क्षेत्र में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है और इसे मानवाधिकारों तथा धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर हमला बताया जा रहा है। पीटीएम ने कहा है कि यह घटना दशकों से जारी उत्पीड़न और दमन का एक और उदाहरण है, जिसमें पश्तून क्षेत्रों को लगातार युद्ध प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।
पीटीएम हालैंड ने अपने बयान में यह स्पष्ट रूप से कहा कि मस्जिदें, घर, स्कूल और गांव तक सुरक्षित नहीं बचे हैं, जिससे यह साबित होता है कि जिस सैन्य नीति के तहत इलाके को संचालित किया जा रहा है, वह पूरी तरह अमानवीय और असंवैधानिक है। संगठन ने पाकिस्तान सरकार से यह सवाल भी पूछा कि आखिर किस कानून के तहत मस्जिद जैसे पवित्र स्थल पर बमबारी की गई और यह कार्रवाई किसके आदेश पर की गई। बयान में यह आरोप लगाया गया है कि वर्षों से पश्तून समुदाय को व्यवस्थित हिंसा, जबरन सैन्यीकरण और भय के माहौल में रहने के लिए मजबूर किया गया है। पीटीएम का कहना है कि निरंतर जारी इन सैन्य गतिविधियों ने आम नागरिकों के जीवन को असहनीय बना दिया है, जहां लोग हर दिन दहशत और अलगाव में जीते हैं।
इसी बीच, पश्तून तहफुज मूवमेंट अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है, जिसमें पश्तूनों पर हो रहे अत्याचारों की ओर विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए कूटनीतिक अभियान चलाया जाएगा। संगठन ने बताया कि टेक्सास जिरगा घोषणापत्र को अब औपचारिक रूप से अमेरिकी कांग्रेस, संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को सौंपा जाएगा। इसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर यह मुद्दा उठाना और पश्तून समुदाय के अधिकारों तथा सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय दखल सुनिश्चित कराना है। यह पूरा मामला अब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार बहस का महत्वपूर्ण विषय बन गया है और आने वाले समय में इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

Post a Comment