प्रणव बजाज
बिहार के 20 जिलों में 122 विधानसभा सीटों पर आज दूसरे चरण का चुनाव होना है। अंतिम चरण में राष्ट्रीय जनतांत्रिक के 122, महागठबंधन के 126 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इसी चरण में पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, मंत्री विजेंद्र यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी, रालोमो के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता, कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, भाकपा माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
कटिहार विधानसभा
कटिहार सदर विधान सभा क्षेत्र पिछले चार चुनावों से भाजपा का गढ़ रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद लगातार चार बार से यहां से विधायक हैं। किंतु इस बार लड़ाई भाजपा के लिए प्रतिष्ठा और गढ़ बचाने की हो गई है। यहां का मुकाबला केवल दो दलों के बीच का का नहीं, बल्कि संबंधों, रणनीतियों और स्वाभिमान से भी जुड़ गया है। वहीं, राजनीतिक गलियारों में इसे पुराने और नए चावल के बीच की लड़ाई भी बताया जा रहा है। कभी हमकदम-हमझोली रहा अपना ही खेमा आज आमने-सामने हैं। भाजपा के सामने वीआइपी से सौरभ कुमार अग्रवाल नाव लेकर चुनावी वैतरणी में हैं जो भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल व नगर निगम मेयर उषा देवी अग्रवाल के पुत्र हैं।
बेतिया विधानसभा
बेतिया विधानसभा सीट से एक बार फिर रेणु देवी को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने उनके अनुभव, साख और गहरे जनसमर्थन को ध्यान में रखते हुए उन पर भरोसा जताया है। रेणु देवी नोनिया (EBC) समाज से आती हैं और बिहार की राजनीति में महिला शक्ति के प्रतीक के रूप में जानी जाती हैं। रेणु देवी के सामने कांग्रेस के वसी अहमद मैदान में है।
सुपौल विधानसभा
सीमांचल और कोसी की राजनीति में सुपौल विधानसभा सीट का अपना अलग महत्व है। यह सीट न केवल जिले की सियासी दिशा तय करती है, बल्कि यहां से उठने वाली राजनीतिक लहरें प्रदेश की सत्ता तक असर डालती हैं। इस बार फिर मैदान में हैं जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, जिनकी राजनीतिक जड़ें गहरी हैं। उनके सामने हैं कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नतुल्लाह रहमानी, जो अपने दलीय गठबंधन के बीच जोश और नई उम्मीद का चेहरा बने हुए हैं। वहीं जनसुराज पार्टी से अनिल कुमार सिंह तीसरा कोण बनाने की पुरजोर कोशिश में हैं।
झंझारपुर विधानसभा
झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र में एनडीए उम्मीदवार नीतीश मिश्रा बिना स्टार प्रचारकों के अपने चुनाव प्रचार में जुटे हैं। महागठबंधन के रामनारायण यादव 'माय' समीकरण पर निर्भर हैं, वहीं जनसुराज के केशव चन्द्र भंडारी युवाओं और पलायन रोकने के वादे के साथ मैदान में हैं। सबकी निगाहें इस सीट पर टिकी हैं, जहाँ मतदाता विकास, रोजगार, या पलायन रोकने की प्रतिबद्धता पर अपना फैसला सुनाएंगे।
धमदाहा विधानसभा
धमदाहा सीट से मौजूदा जद(यू) मंत्री लेसी सिंह जो छह बार से विधायक हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं, को अपने पूर्व शिष्य संतोष कुशवाहा से कड़ी चुनौती मिल रही है। कुशवाहा ने नामांकन से कुछ हफ़्ते पहले ही राजद का दामन थाम लिया है। इसके अलावा, जन सुराज के राकेश कुमार यादव, जिन्हें 'बंटी यादव' के नाम से भी जाना जाता है, युवाओं के गुस्से को आवाज दे रहे हैं।
कुटुंबा विधानसभा औरंगाबाद का कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र 2025 के चुनाव के लिए तैयार है। 2020 में कांग्रेस के राजेश राम ने हम के श्रवण भुइयां को हराया था। इस बार ललन राम (हम) और राजेश राम (कांग्रेस) के बीच मुकाबला है, जिसमें श्रवण भुइयां (आप) भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। देखना यह है कि मतदाता किसे चुनते हैं।
गोविंदगंज विधानसभा
गोविंदगंज विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। यहां करीब 22% मतदाता इसी समुदाय से हैं. पिछले 18 चुनावों में यहां से 15 बार ब्राह्मण विधायक ही चुने गए हैं। एक समय कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट 1980 के बाद से पार्टी की वापसी का इंतजार कर रही है। 2020 के चुनाव में यहां से बीजेपी के सुनील मणि तिवारी ने जीत दर्ज की थी। इस बार समीकरण बदले हैं और मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। एनडीए से राजू तिवारी, कांग्रेस से गप्पू राय और जनसुराज से कृष्णकांत मिश्रा चुनावी मैदान में हैं।
सासाराम विधानसभा
रोहतास जिले की सासाराम विधानसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा की उम्मीदवार स्नेहलता के चुनाव लड़ने से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। उनके पति उपेंद्र कुशवाहा खुद प्रचार में जुटे हैं। वहीं, राजद के उम्मीदवार सत्येंद्र साह जेल में हैं और उनकी पत्नी प्रचार कर रही हैं।
कदवा विधानसभा कटिहार जिले की कदवा विधानसभा सीट सीमांचल क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र है। कटिहार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा, यह सीट महानंदा और बरंडी नदियों के बाढ़ प्रभावित जलोढ़ मैदानों में स्थित है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से कदवा और डंडखोरा प्रखंडों को समाहित करता है। यहां कांग्रेस से शकील अहमद खान मैदान में है। उनके सामने जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी टक्कर देंगे।
बलरामपुर विधानसभा
कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा सीट 2008 के बाद अस्तित्व में आई। 2020 के चुनाव में सीपीआई माले के महबूब आलम ने वीआईपी के बरुण कुमार झा को मात दी थी। 53 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं तीसरे नंबर पर लोजपा की संगीता देवी रही। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी सीपीआई माले के खाते में ये सीट गई थी। इस बार फिर महागठबंधन से महबूब आलम मैदान में हैं।
जमुई विधानसभा भोला मांझी, त्रिपुरारी प्रसाद सिंह, नरदेव भगत, सुशील कुमार सिंह, अर्जुन मंडल, नरेंद्र सिंह और अभय सिंह की कर्मभूमि में इस बार भी लड़ाई रोचक है। यहां कमल के निशान पर श्रेयसी सिंह को फिर उम्मीदवार बनाया गया है। लालटेन के निशान पर शमशाद आलम उन्हें सीधी टक्कर देंगे, लेकिन जनसुराज और निर्दलीय अमरेंद्र कुमार तीसरा कोण बनाने में लगे हैं।
सिंकदरा विधानसभा
जमुई की सिकंदरा सीट पर विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। यहां महागठबंधन के प्रमुख घटक दल राजद और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे तेजस्वी यादव का 'एम-वाई समीकरण' (मुस्लिम-यादव) टूटता दिख रहा है।
आमौर विधानसभा
पूर्णिया जिले की इस मुस्लिम बाहुल सीट पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधा और कड़ा मुकाबला है। यहां पर जातिगत समीकरण के साथ विकास के मुद्दे भी निर्णायक साबित हो सकते हैं। बता दें कि पूर्णिया जिले की अमौर विधानसभा सीट से तीन प्रमुख मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं।
काराकाट विधानसभा
काराकाट विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म है। नेता विकास की बात कर रहे हैं, पर जनता में जातीय समीकरणों की चर्चा है। इस बार 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें एनडीए, महागठबंधन और निर्दलीय शामिल हैं। जातीय समीकरणों का प्रभाव हमेशा से यहां के चुनाव परिणामों पर रहा है, और इस बार भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देखना यह है कि इस बार विकास की जीत होती है या जाति हावी रहती है।
नबीनगर विधानसभा
2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के विजय सिंह ने जेडीयू के वीरेंद्र सिंह को हराया था, जबकि रालोसपा से लड़े धर्मेंद्र कुमार करीब 23 हजार वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। नबीनगर विधानसभा सीट पर राजपूत जाति के अलावा यादव और रविदास वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
बाराचट्टी विधानसभा
बाराचट्टी सीट से मौजूदा समय में हम पार्टी की ज्योति देवी विधायक हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। वर्तमान एमएलए ज्योति देवी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की समधन हैं। जीतनराम मांझी की बेटे की शादी ज्योति देवी के बेटी से हुई है। इस फिर हम ने ज्योति देवी को टिकट दिया है। उनके सामने राजद की तनुश्री कुमारी मैदान में हैं।
गया टाउन विधानसभा
गया टाउन विधानसभा सीट पर प्रेम कुमार (भाजपा), अखौरी ओमकार नाथ (कांग्रेस) और धीरेंद्र अग्रवाल (जन सुराज पार्टी) के बीच एक त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। बिहार की सबसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरी सीटों में से एक, इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की भावना, उम्मीदवार की छवि और पार्टी की रणनीति के आधार पर एक गहन चुनावी मुकाबला देखने को मिलने वाला है।
चनपटिया विधानसभा
पश्चिम चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट से 2020 के चुनाव में बीजेपी के उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13469 वोट से हराया था। तीसरे नंबर पर रहे थे चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप। मनीष कश्यप इसबार जनसुराज के टिकट पर अपनी किस्मत अजमा रहे हैं।

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