मथुरा। सनातन एकता पदयात्रा के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। हमेशा की तरह इस बार भी उन्होंने मंच से बेहद तीखे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कही, जिसने माहौल को और गरमा दिया है। यात्रा में उमड़ी भारी भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग राम नाम, वंदे मातरम या जय श्री राम से परेशानी महसूस करते हैं, वे लाहौर जाने का टिकट कटवा लें। उन्होंने तल्ख अंदाज़ में कहा कि जिन्हें पैसे की दिक्कत है, उनके लिए वे खुद कर्ज लेकर टिकट दिलाने को तैयार हैं। उनके अनुसार, “जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं,” और यही संदेश वे समाज को देना चाहते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी समुदाय के विरोधी नहीं हैं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ हैं जो न राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखते हैं और न ही राम के प्रति सम्मान। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग भारत का खाते हैं, यहीं रहते हैं, लेकिन महिमा किसी और की गाते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा—“वो आपके चाचा लगते हैं क्या, जिनका गुणगान करते रहते हो?”
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी बताया कि विरोध सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि कुछ हिंदुओं के भीतर से भी आता है। उन्होंने कहा कि कुछ हिंदू गीता, गंगा, संतों और सनातन एकता पदयात्रा का भी विरोध करते हैं। इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे शुगर होने पर जांच करवाई जाती है, वैसे ही जो लोग हिन्दुत्व और सनातन पर सवाल उठाते हैं, उन्हें अपना डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिए, ताकि पता चले कि वे वास्तव में किस मिट्टी के बने हैं।
उनके बयान ने एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है। कई जगह उनके समर्थक उनके कथनों की सराहना कर रहे हैं, वहीं विरोधियों का कहना है कि ऐसे बयान समाज में विभाजन की खाई और गहरी कर सकते हैं। हालांकि धीरेंद्र शास्त्री अपनी साफगोई और बिंदास शैली के लिए जाने जाते हैं और वे लगातार कहते रहे हैं कि उनका उद्देश्य सिर्फ धर्म, राष्ट्र और सनातन की प्रतिष्ठा को मजबूत करना है।
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