राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लंबे समय बाद अपने प्रचारकों की व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है। संघ के शताब्दी वर्ष में आए महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव के तहत प्रांत प्रचारक की व्यवस्था खत्म हो सकती है। इनके स्थान पर प्रदेश और संभाग प्रचारक के नए दायित्व रहेंगे। जबलपुर में हुई संघ की बैठक में यह प्रस्ताव आया है। इस पर अंतिम निर्णय नागपुर में प्रतिनिधि सभा की बैठक में होगा। संभव है नई व्यवस्था 2027 से लागू हो।
नई व्यवस्था से संघ को व्यवस्था भी प्रशासकीय प्रांत और संभागों के लगभग अनुरूप हो जाएगी। संघ ने अपने कार्यक्रमों के संचालन के लिए अपने हिसाब से जिलें और प्रांत बना रखे हैं। इंदौर संघ के मालवा प्रांत का हिस्स्य है। इसमें इंदौर और उज्जैन संभाग के जिले शामिल किए गए हैं। मौजूदा संगठनात्मक व्यवस्था में प्रांत प्रचारक हो पूरे क्षेत्र में संघ की गतिविधियां संचालित करते हैं। जबलपुर की बैठक में आए प्रस्ताव के अनुसार, अब प्रांत प्रचारक का दायित्व बदलेगा। उनके स्थान पर प्रदेश प्रचारक होंगे, जो पूरे प्रदेश में संघ की गतिविधियां देखेंगे। इनके बाद संभाग, विभाग और जिला प्रचारक के दायित्व रहेंगे। प्रदेश प्रचारक के ऊपर क्षेत्र प्रचारक रहेंगे। मप्र छत्तीसगढ़ दोनों एक प्रचारक के कार्यक्षेत्र में आएंगे।
सूत्रों के अनुसार, नई व्यवस्था लागू करने का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्य की गुणवत्ता और पकड़ अधिक मजबूत करना है। संघ को उम्मीद है कि नई व्यवस्था से काम और सुगम होगा। यह प्रस्ताव भी बढ़ते कार्य को देखते हुए तैयार किया गया ही इधर, शताब्दी वर्ष के तहत फिलहाल संघ समरसता बैठकों का आयोजन कर रहा है, जिसके माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

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