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झारखंड के 25 साल.... अब तक की सरकारों के निर्णय पच्चीसी!25 years of Jharkhand... twenty-five decisions of the governments so far!

प्रणव बजाज

25 साल के झारखंड में कई सरकारें आईं और गयीं. उनके द्वारा लिए गये निर्णयों से आज कहां खड़ा है हमारा युवा राज्य.

रांचीः झारखंड राज्य अब एक संपूर्ण युवा का आकार ले चुका है. राज्य के जन्म से लेकर आज तक सत्ता पर कई दल और कई राजनेता आसीन रहे. उन सरकारों के द्वारा लिए गये निर्णयों से झारखंड की दशा और दिशा की गयी. इन फैसलों के आधार पर आज का युवा झारखंड कहां खड़ा है, जानें इस रिपोर्ट में.



एक लंबे संघर्ष के बाद 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड भारत देश का 28वां राज्य के रुप में अस्तित्व में आया. प्राकृतिक संसाधनों से भरे इस राज्य में शुरुआती दौर में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही. जिस वजह से विकास की रफ्तार में समय समय पर ब्रेक लगता रहा.

राज्य गठन के बाद तुरंत भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी और बाबूलाल मरांडी को नवोदित राज्य झारखंड का प्रथम मुख्यमंत्री बनने की सौभाग्य प्राप्त हुआ. बाबूलाल मरांडी की ये सरकार 17 मार्च 2003 तक सरकार चली. इसके बाद भाजपा कुनबे से ही अर्जुन मुंडा ने बागडोर संभाली इस तरह से यह सिलसिला चलता रहा.


झारखंड में कौन और कब-कब रहे मुख्यमंत्री (ETV Bharat)

विगत 25 वर्षों के शासनकाल में रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य में पहली सरकार बनी जिसने अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने में सफल रही. वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऊपर राज्य की बागडोर है. अगर इससे पूर्व के मुख्यमंत्री के कार्यकाल पर नजर दौड़ाएं तो मधु कोड़ा ने झारखंड के पांचवें सीएम के तौर पर 14 सितंबर 2006 को कुर्सी संभाली थी जो 27 अगस्त 2008 तक यानी 709 दिन की सरकार चली.

मुख्यमंत्री बनते समय मधु कोड़ा निर्दलीय विधायक थे. मधु कोड़ा का संबंध राजनीति के शुरुआती दौर में आरएसएस से भी रहा था. झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की सरकार में वह पंचायती राज मंत्री थे. 2003 में अर्जुन मुंडा की सरकार में भी उन्हें यही विभाग मिला था.

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बागी बनकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गये. उस समय किसी दल को बहुमत नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाले अर्जुन मुंडा सरकार को समर्थन दिया. सितंबर 2006 में कोड़ा और 3 अन्य निर्दलीय विधायकों ने मुंडा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई. इसके बाद यूपीए ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, उनकी सरकार को राजद, कांग्रेस और झामुमो सहित निर्दलीयों का समर्थन हासिल था.


झारखंड में कौन और कब-कब रहे मुख्यमंत्री (ETV Bharat)

आइये अब एक नजर डालते हैं इन 25 वर्षों में विभिन्न सरकार के द्वारा लिए गये उन महत्वपूर्ण फैसलों पर जिसका व्यापक रहा और चर्चा में हमेशा बना रहा.

बाबूलाल मरांडी सरकार के फैसलेः बाबूलाल मरांडी की सरकार ने झारखंड राज्य का पहला स्थानीय और नियोजन नीति को मंजूरी दी. इसके साथ ही उनकी सरकार ने औद्योगिक नीति 2001 को मंजूरी दी. इसके अलावा तत्कालीन सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 फीसदी करने का भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया. जो हमेशा से सूर्खियों में रहा और आज भी बना रहता है.


झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कार्यकाल (ETV Bharat)

अर्जुन मुंडा सरकार के निर्णयः 34वें नेशनल गेम्स का आयोजन का फैसला अर्जुन मुंडा की सरकार ने लिया. इस आयोजन को झारखंड में सफलतापूर्वक नतीजे तक भी पहुंचाया. इस आयोजन को लेकर झारखंड की राजधानी सहित अन्य शहरों में विभिन्न खेल स्टेडियम का निर्माण करने का निर्णय लिया. इसके अलावा पहली बार राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करना, महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित रखने का फैसला मुंडा सरकार ने लिया.


अर्जुन मुंडा का कार्यकाल (ETV Bharat)

मधु कोड़ा सरकार के फैसलेः कोड़ा सरकार ने पहला शहरी निकाय चुनाव कराने का फैसला लिया. इसके साथ ही राज्य के विभिन्न माइंस का लीज आवंटन का फैसला भी लिया. इसके अलावा प्रदेश का अंधेरा दूर करने के लिए राजीव गांधी विद्युतीकरण के तहत हर घर बिजली पहुंचाने का महत्वपूर्ण निर्णय कोड़ा सरकार के द्वारा लिया गया.


मधु कोड़ा सरकार के फैसले (ETV Bharat)



रघुवर सरकार के फैसलेः झारखंड राज्य स्थानीय और नियोजन नीति 2016 पर मुहर रघुवर सरकार ने अपनी मंजूरी दी. इसके अलावा ढांचागत विकास के लिए झारखंड हाईकोर्ट और नये विधानसभा भवन बनाने का फैसला भी लिया गया. इसके साथ ही राज्य के मंत्री और विधायकों के लिए अलग आवास परिसर बनाने का फैसला रघुवर सरकार ने लिया.

प्रदेश को विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए रांची में मोमेंटम झारखंड के जरिए उद्योग और निवेश को बढ़ावा देने का फैसला लिया. इसके साथ ही केंद्र प्रायोजित स्मार्ट सिटी की शुरुआत करने का निर्णय रघुवर सरकार ने लिया.


रघुवर सरकार द्वारा लिए गये अहम फैसले (ETV Bharat)

चंपाई सोरेन सरकार के फैसलेः तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के जेल जाने के लिए चंपाई सोरेन को सीएम पद दिया गया. सीए रहते हुए चंपाई सोरेन की सरकार ने मुख्यमंत्री बहन-बेटी माईकी स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना, इसके तहत प्रति महीने एक हजार रुपया देने का निर्णय लिया.

साथ ही राज्य में 200 यूनिट फ्री बिजली योजना की मंजूरी, मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की मंजूरी, झारखंड तकनीकी सेवा नियमावली 2023 के गठन की स्वीकृति चंपाई सरकार ने दी. इसके अलावा झारखंड मिल्क फेडरेशन के माध्यम से गिरिडीह और जमशेदपुर में नये डेयरी प्लांट और होटवार रांची में मिल्क प्रोडक्ट प्लांट निर्माण की मंजूरी दी गयी.


चंपाई सरकार के अहम फैसले (ETV Bharat)

हेमंत सरकार के महत्वपूर्ण निर्णयः हेमंत सोरेन ने अपने दोनों कार्यकाल में प्रदेश को गति देने के लिए कई योजनाएं शुरू की. इसके साथ ही कई जनहित में निर्णय लिये. इसमें राज्य सरकार के कर्मियों को ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फैसला, झारखंड स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत काफी रहा. लेकिन सबसे अहम और हेमंत सोरेन का मास्टरस्ट्रोक कही जाने वाली योजना मुख्यमंत्री मंईयां मंईया सम्मान योजना है. जिसके तहत 2500 रुपये 18-50 वर्ष की महिलाओं को देने का फैसला हेमंत सरकार ने लिया.

इसके अलावा हेमंत सरकार ने शहरी क्षेत्र में अपने निजी जमीन पर पेड़ लगाने पर प्रति वृक्ष पांच यूनिट बिजली फ्री देने का निर्णय लिया. सरकारी कर्मचारियों की तरह संविदा पर नियुक्त एवं कार्यरत महिलाकर्मियों को मातृत्व अवकाश देने की फैसला. झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 की स्वीकृति, नकल करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा अधिकतम 10 करोड़ तक का जुर्माना का प्रावधान.

शिक्षा के विकास के लिए हेमंत सरकार ने झारखंड के गरीब और पिछड़े बच्चों की शिक्षा के लिए गुरु जी स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की. साथ ही राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सीबीएसई पाठ्यक्रम आधारित मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की.


हेमंत सोरेन का कार्यकाल (ETV Bharat)

हेमंत सरकार द्वारा झारखंड पेट्रोल सब्सिडी योजना की शुरुआत भी की गयी. राज्य के वकीलों को पेंशन और स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत हुई. राज्य में पहली बार झारखण्ड राज्य साहित्य अकादमी और झारखण्ड राज्य संगीत नाटक अकादमी के गठन की स्वीकृति मिली. साथ ही मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना भी हेमंत सरकार की देन है.

25 साल में 25 वो फैसले जिसने बटोरी सूर्खियां

झारखंड राज्य गठन के 25 वर्षों में जो भी सरकारें बनी अपने अपने ढंग से निर्णय लेती रही. मगर कुछ ऐसे निर्णय हुए जो झारखंड की जनता को बेहद ही प्रभावित किया है जिसके कारण वो सुर्खियों में रहा. झारखंड सरकार के वैसे 25 निर्णयों को देखें तो राज्य गठन के बाद बनी पहली सरकार के समय ही स्थानीय और नियोजन नीति बेहद ही सुर्खियों में रही और विवाद इतना बढ़ा कि सरकार बदल गई.

हालांकि राज्य में तेजी से औद्योगिक विकास के लिए कदम भी उठाए गए और औद्योगिक नीति बनाने में सरकार सफल हुई. पहला शहरी निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से सत्ता का विकेंद्रीकरण की कोशिश की गई. 34वें नेशनल गेम्स के आयोजन से राज्य में खेल को बढ़ावा मिला और रांची सहित अन्य शहरों में स्टेडियम के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ.

रघुवर सरकार में एक बार फिर स्थानीय और नियोजन नीति बनी हालांकि नियोजन नीति को न्यायालय द्वारा अवैध ठहराए जाने से नियुक्ति प्रक्रिया पर अचानक ब्रेक लगता दिखा. जिसे बाद की हेमंत सरकार ने संशोधन के जरिए नियुक्ति करने में सफल हुई. मोंमेटम झारखंड के माध्यम से रघुवर सरकार ने एक बार फिर औद्योगिक माहौल बनाने की कोशिश की. इसी दौरान झारखंड हाईकोर्ट का नया भवन और परिसर तैयार हुआ और भव्य विधानसभा भी बनाने में सरकार सफल हुई.

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में साल 2019 में बनी सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए जो काफी सुर्खियों में रहा. राज्यकर्मियों पर हेमंत सरकार मेहरबान बनी और ओल्ड पेंशन से लेकर स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी स्कीम देकर माहौल बनाने में सफल रही. पिपुल्स फ्रेंडली छवि बनाने की कोशिश में जुटी हेमंत सरकार ने चंपाई सोरेन सरकार में शुरू की गई.

मुख्यमंत्री बहन-बेटी माईकी स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना जिसके तहत प्रति महीने एक हजार रुपया देने का निर्णय था उसे बदलते हुए मंईयां योजना लाया और 2500 रुपया देने का निर्णय लिया. इसी तरह साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी खोलने जैसे निर्णय लिए गए.

इन 25 वर्षों में विभिन्न सरकार के द्वारा लिए गये फैसलों की बदौलत आज झारखंड एक अलग रूप और कलेवर में नजर आ रहा है. भले ही निर्णयों पर विवाद हुए फिर भी कई ऐसे जनहित में लिए गये फैसले के कारण 25 साल के युवा झारखंड को संवारने में काफी मददगार रहा.

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