उज्जैन। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन की विद्युत पारेषण प्रणाली को और अधिक मजबूत, सक्षम और आधुनिक बनाने की दिशा में व्यापक कार्य जारी हैं। शहर का ऐतिहासिक 132 केवी सबस्टेशन—ज्योति नगर—जो मध्य प्रदेश का पहला 132 केवी सब स्टेशन है, अपनी 65 वर्षों की गौरवपूर्ण तकनीकी यात्रा के साथ अब आगामी सिंहस्थ के लिए नई उन्नत सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। यह सब स्टेशन वर्ष 1960 से लगातार प्रदेश के ट्रांसमिशन नेटवर्क की रीढ़ बना हुआ है और उज्जैन के ऊर्जा तंत्र को मजबूत आधार देता रहा है।
1960 से शुरू हुई अविरल यात्रा- 17 नवंबर 1960 को प्रारंभ हुए इस सबस्टेशन ने पिछले पांच सिंहस्थों में उज्जैन को निर्बाध और सुरक्षित बिजली आपूर्ति प्रदान करके अपनी दक्षता और विश्वसनीयता सिद्ध की है। पूरे क्षेत्र में बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान लाखों लोगों की मौजूदगी और भारी बिजली खपत के बावजूद इस सबस्टेशन ने बिना किसी बड़ी बाधा के आपूर्ति बनाए रखी, जिससे इसकी तकनीकी क्षमता का प्रमाण मिलता है। अब चौथे दशक में प्रवेश करता यह स्टेशन छठे सिंहस्थ 2028 के लिए आधुनिक तकनीकों के साथ तैयार हो रहा है।
ऊर्जा मंत्री ने दिए उन्नयन के निर्देश- ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि सिंहस्थ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी को निर्देश दिए हैं कि सिंहस्थ 2028 के दौरान उज्जैन में 24×7 निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। इसके लिए सब स्टेशन में व्यापक तकनीकी सुधार, आधुनिकीकरण और सभी आवश्यक उपकरणों के रखरखाव के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। 33 केवी खेड़ापति फीडर की महत्वपूर्ण भूमिका- सिंहस्थ क्षेत्र में बिजली उपलब्ध कराने में इस सबस्टेशन से निकलने वाला 33 केवी खेड़ापति फीडर अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। पांच सिंहस्थों में इस फीडर ने बिजली आपूर्ति का मुख्य भार संभाला है और आगामी सिंहस्थ में भी यह प्रमुख भूमिका निभाएगा। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अनुसार, सबस्टेशन को नई तकनीक, सुरक्षित सिस्टम, उन्नत सुरक्षा उपकरण और आवश्यक बैकअप सुविधाओं से मजबूत किया जा रहा है ताकि लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत करने वाले इस महाकुंभ जैसे आयोजन के दौरान बिजली आपूर्ति पूरी तरह स्थिर रहे।

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