दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ चुनाव के मद्देनजर रविवार रात जेएनयू परिसर मेंदिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ चुनाव के मद्देनजर रविवार रात जेएनयू परिसर में बहुप्रतीक्षित प्रेसिडेंशियल डिबेट का आयोजन हुआ. रात 12 बजे शुरू हुई इस डिबेट में कैंपस वंदे मातरम, जय भीम और कैंपस लाल है जैसे नारों से गूंज उठा.
चार चरणों में चली इस बहस में अध्यक्ष पद के सात उम्मीदवारों ने अंतरराष्ट्रीय से लेकर राष्ट्रीय और कैंपस से जुड़े अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे. प्रत्येक उम्मीदवार को अपने विचार और जवाब रखने के लिए 12 मिनट का समय दिया गया. सेंट्रल पैनल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के पदों पर कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं कैंपस वंदे मातरम, जय भीम और कैंपस लाल है जैसे नारों से गूंज उठा.
चार चरणों में चली इस बहस में अध्यक्ष पद के सात उम्मीदवारों ने अंतरराष्ट्रीय से लेकर राष्ट्रीय और कैंपस से जुड़े अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे. प्रत्येक उम्मीदवार को अपने विचार और जवाब रखने के लिए 12 मिनट का समय दिया गया. सेंट्रल पैनल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के पदों पर कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं
एनएसयूआई उम्मीदवार से शूरू हुई डिबेट की शुरूआत
डिबेट की शुरुआत एनएसयूआई उम्मीदवार विकाश पटेल से हुई. उन्होंने लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार की निंदा की और पंजाब व हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ के दौरान केंद्र सरकार की उपेक्षा पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार दलित, आदिवासी और किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है. विकास ने पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने, किसानों की जमीन कॉरपोरेट घरानों को सौंपने और न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल उठाने जैसी घटनाओं का जिक्र किया.कैंपस बदहाल स्थिति का मुद्दा उठाया
ABVP के विकास पटेल ने जेएनयू कैंपस की बदहाल स्थिति के लिए पिछले बारह वर्षों से शासन कर रही लेफ्ट काउंसिल को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि लेफ्ट के कार्यकाल में सड़कों, पानी, हॉस्टल, लाइब्रेरी और स्कॉलरशिप की स्थिति बिगड़ी है. 2016 में एबीवीपी शासन में बराक हॉस्टल, वाईफाई, सड़क निर्माण, यू स्पेशल बस सेवा और रेलवे रिजर्वेशन काउंटर जैसी सुविधाएं शुरू की गई थीं. हाल ही में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात कर उन्होंने ओपन जिम, हेल्थ सेंटर और छात्राओं के लिए सैनिटरी वेंडिंग मशीन लगाने का आग्रह किया. साथ ही मेट्रो कनेक्टिविटी और फ्री डीटीसी बस सेवा की मांग भी रखी.
इसके बाद पीएसआई उम्मीदवार शिंदे विजयलक्ष्मी वेंकट राव ने कहा कि मौजूदा सरकार गरीबों, दलितों और महिलाओं के खिलाफ नीतियां बना रही है. उन्होंने केंद्र की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा ये लोग जीएसटी लगाने को मास्टर स्ट्रोक बताते हैं, फिर हटाने को भी मास्टर स्ट्रोक कहते हैं. सरकार अमेरिका के आगे झुक जाती है, जबकि जनता से ऊंची बातें करती है.
वाम एकता (एसएफआई-आइसा-डीएसएफ) की उम्मीदवार अदिति मिश्रा ने कहा कि सरकार जनता के संघर्षों को कमजोर करने की साजिश रच रही है. उन्होंने 2020 के दंगों, उमर खालिद और शरजील इमाम की गिरफ्तारी, ठेका प्रथा, और सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण के मुद्दों को उठाया. अदिति ने कहा सरकार पांच-पांच लाख के एयर प्यूरीफायर लगवाकर खुद को सनातनी बताती है, जबकि छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित करती है. उन्होंने पीएचडी छात्रों की बेदखली, हॉस्टल फीस वृद्धि और महिला सुरक्षा को भी प्रमुख मुद्दा बताया
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में लेफ्ट यूनिटी (आइसा, एसएफआई, डीएसएफ) ने संयुक्त मोर्चा बनाया है, जबकि एबीवीपी अकेले मैदान में है और खुद को विकास का प्रतीक बता रही है. जेएनयू में मतदान 4 नवंबर को होगा और परिणाम 6 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

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