बहार में एनडीए को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब नई सरकार के गठन की प्रक्रिया निर्णायक दौर में पहुंच गई है। एनडीए के दो प्रमुख दल जेडीयू और बीजेपी आज अपने-अपने विधायक दल की बैठक करने जा रहे हैं। इसके बाद विधानसभा के सेंट्रल हॉल में गठबंधन की संयुक्त बैठक आयोजित होगी, जहां औपचारिक रूप से नीतीश कुमार को एनडीए विधायक दल का नेता चुना जाएगा।
नीतीश कुमार के लिए यह ऐतिहासिक क्षण होगा क्योंकि वे दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उन्होंने 2000 में पहली बार सीएम के तौर पर शपथ ली थी और इतने सालों में विभिन्न राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी अहम भूमिका बनाए रखी है।
एनडीए विधायक दल की संयुक्त बैठक में नीतीश कुमार को चुना जाएगा नेता
दोनों दलों की बैठकों के बाद विधानसभा के सेंट्रल हॉल में एनडीए विधायक दल की संयुक्त बैठक होगी जिसमें नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से एनडीए विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। वहीं नीतीश कुमार राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी सौंपेंगे और इसी के साथ वर्तमान विधानसभा का विघटन हो जाएगा।
दसवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ लेकर नीतीश कुमार रचेंगे इतिहास
गुरुवार को बिहार की राजनीति एक ऐतिहासिक क्षण की ओर बढ़ रही है। नीतीश कुमार 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। यह अवसर भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा कई राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विभिन्न केंद्रीय मंत्री तथा एनडीए के वरिष्ठ नेता भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब कोई नेता किसी राज्य में दस अलग-अलग कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा। नीतीश कुमार ने सबसे पहले मार्च 2000 को सीएम के रूप में पद की शपथ ली थी। हालांकि उस समय उनकी पारी सिर्फ सात दिन की थी लेकिन उसके बाद साल 2005 से वे लगातार बिहार की सत्ता के केंद्र में रहे हैं। बीच में कई बार गठबंधन बदले, सरकारें गिरीं और बनीं लेकिन नीतीश कुमार हर बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लौटे। अब एक बार फिर वे बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं और इसी के साथ भारतीय राजनीति में एक नया रिकॉर्ड भी स्थापित होने जा रहा है।

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