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यहां पानी भी जलकर भस्म हो जाता है! धरती से 400 प्रकाश वर्ष दूर मौजूद ग्रह, जेम्स वेब टेलीस्कोप से बना 3D मैप ।Even water burns to ashes here! Planet 400 light years away from Earth, 3D map made by the James Webb Telescope

 .विज्ञान ने एक बार फिर ब्रह्मांड के रहस्यों की परतें खोल दी हैं. वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से हमारे सौर मंडल के बाहर मौजूद एक ग्रह का पहला 3D नक्शा तैयार किया है. ये ग्रह है WASP-18b – एक ऐसा दानव ग्रह जो इतना गर्म है कि उसकी सतह पर पानी के अणु भी टूटने लगते हैं. यह उपलब्धि एक्सोप्लैनेट रिसर्च की दिशा में अब तक का सबसे बड़ा कदम मानी जा रही है. वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक – ‘3D इक्लिप्स मैपिंग’ या ‘स्पेक्ट्रोस्कोपिक इक्लिप्स मैपिंग’ का इस्तेमाल किया. इस तकनीक से ग्रह के उसके तारे के पीछे जाने के दौरान अलग-अलग तरंगदैर्घ्यों (wavelengths) में आने वाले प्रकाश के सूक्ष्म बदलावों को ट्रैक किया गया. इन बदलावों की मदद से वैज्ञानिकों ने तापमान का नक्शा तीनों आयामों – अक्षांश, देशांतर और ऊंचाई – में तैयार किया.


कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमर रयान चालेनर के मुताबिक, ‘अगर आप उस तरंगदैर्घ्य पर मैप बनाते हैं जहां पानी प्रकाश को अवशोषित करता है, तो आप वायुमंडल की ऊपरी परत देखेंगे. लेकिन जिस तरंगदैर्घ्य पर पानी अवशोषण नहीं करता, वहां आप गहराई तक झांक पाएंगे. इन दोनों को मिलाकर आप ग्रह का असली 3D तापमान नक्शा बना सकते हैं.’

महाभयानक गर्म है यह ग्रह

WASP-18b पृथ्वी से करीब 400 प्रकाश वर्ष दूर है. इसका आकार बृहस्पति से करीब 10 गुना बड़ा है. यह अपने तारे के बेहद करीब घूमता है और सिर्फ 23 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है. इतनी निकटता के कारण इसकी वायुमंडलीय तापमान लगभग 5000°F (2760°C) तक पहुंच जाता है.

वैज्ञानिकों के बनाए 3D मैप में एक चमकदार केंद्रीय हॉटस्पॉट और उसके चारों ओर ठंडा क्षेत्र दिखाई दिया. ग्रह की एक ही साइड हमेशा अपने तारे की तरफ रहती है, इसलिए वहां तापमान का अंतर बेहद तेज है. हैरानी की बात ये रही कि इस सबसे गर्म क्षेत्र में वॉटर वेपर यानी जलवाष्प की मात्रा सबसे कम थी. चालेनर ने बताया, ‘हमारा मानना है कि ग्रह का तापमान इतना अधिक है कि वहां पानी टूटकर बिखर रहा है. सिद्धांतों में ये बात कही गई थी, लेकिन अब हमने इसे असल में देख लिया है.’ये 3D मैपिंग तकनीक भविष्य में उन ग्रहों को भी समझने में मदद करेगी जिन्हें हम सीधे नहीं देख सकते, क्योंकि उनके तारे बहुत ज्यादा चमकदार होते हैं. चालेनर के शब्दों में, ‘अब हम एक्सोप्लैनेट्स को 3D में समझने की शुरुआत कर चुके हैं. और यही भविष्य की खगोल विज्ञान का असली रोमांच है.’

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