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छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा सरेंडर, 208 माओवादियों ने 153 हथियारों के साथ किया आत्मसमर्पण Chhattisgarh witnesses biggest surrender; 208 Maoists surrender with 153 weapons


छत्तीसगढ़ में माओवाद के खिलाफ बड़ी जीत मिली है, जहां 208 माओवादियों ने आज जगदलपुर में सरेंडर कर दिया है। अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब माओवादी आतंक से मुक्त हो चुके हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि केवल दक्षिण बस्तर में माओवाद का नाममात्र प्रभाव बचा है, जिसे जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा।



केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अपने 'एक्स' अकाउंट पर पोस्ट करते हुए घोषणा की कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर अब माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के सीमित हिस्से में माओवाद का नाममात्र प्रभाव शेष है, जिसे सुरक्षा बल बहुत जल्द समाप्त कर देंगे। दरअसल, जिन जंगलों को चार दशकों तक माओवादी संगठन का अभेद्य गढ़ माना जाता था, वह अब सुरक्षा बलों की पकड़ में है।

भाकपा (माओवादी) के वैचारिक संगठन केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) के सचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति उर्फ सोनू के आत्मसमर्पण के बाद संगठन का पूरा तंत्र बिखरने लगा है। भूपति के समर्पण के बाद सिर्फ दो दिनों में 278 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण की राह पर हैं। इनमें माड़ डिविजन, गढ़चिरौली डिविजन, इंद्रावती नेशनल पार्क एरिया कमेटी और रावघाट एरिया कमेटी के सभी सक्रिय माओवादी शामिल हैं।

यह वही बस्तर है, जहां माओवादी 'जनताना सरकार' का नारा लेकर राज करते रहे। आज उसी क्षेत्र में डबल इंजन सरकार ने माओवाद के ढांचे को जड़ से हिला दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने पहले ही यह संकल्प दोहराया था कि मार्च 2026 तक देश को माओवाद से मुक्त किया जाएगा। अबूझमाड़ की यह सफलता उसी दिशा में सबसे बड़ा कदम मानी जा रही है।

माओवादी रुपेश ने की समर्पण की अपील

माओवादी नेता रुपेश ने गुरुवार को इंद्रावती नदी पार करने के बाद वीडियो जारी कर देश भर के माओवादियों से समर्पण कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। रुपेश ने कहा है कि अब सशस्त्र संघर्ष का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और वे लोकतांत्रिक तरीके से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

अब देवजी–हिड़मा ही बचे मोर्चे पर

बस्तर में अब माओवाद की सक्रियता केवल दक्षिणी क्षेत्र तक सिमट गई है, जहां भी सुरक्षा बलों ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। कर्रेगुट्टा पहाड़ियों तक सुरक्षा बलों की पहुंच हो चुकी है और माओवादी कॉरिडोर लगभग ध्वस्त कर दिया गया है। इस क्षेत्र में केवल दो शीर्ष माओवादी नेताओं मिलिट्री कमिशन प्रमुख व पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, तथा केंद्रीय समिति सदस्य हिड़मा की आंशिक सक्रियता है।

सुरक्षा बलों के निरंतर अभियानों ने दिलाई सफलता

पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई और निरंतर अभियानों ने अबूझमाड़ के माओवादी नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया। अबूझमाड़ के जंगलों की गहराइयों में हुई बड़ी मुठभेड़ों में पोलित ब्यूरो सदस्य और माओवादी प्रमुख बसव राजू, डीकेएसजेडसी सचिव के. रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड्सा उसेंडी, सचिवालय प्रभारी के. सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा, और क्षेत्रीय राजनीतिक स्कूल प्रभारी थेटू लक्ष्मी उर्फ सुधाकर जैसे शीर्ष माओवादी मारे गए।

अबूझमाड़् के इन अभियानों में अब तक 89 माओवादी मारे गए, जबकि दक्षिण बस्तर सब-जोनल प्रमुख और केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, तथा सुधाकर की पत्नी ककराला सुनीता सहित 200 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब, जब अबूझमाड़ की घाटियों में बंदूक की गूंज थम चुकी है, वहां के जंगलों में शासन, विकास और विश्वास की नई सुबह होने जा रही है।

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