Top News

लिव-इन रिलेशनशिप वाले जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं, आरएसएसThose in live-in relationships want to avoid responsibility, says RSS chief Mohan Bhagwat: If you don't want a family, then become a sanyasi (ascetic). प्रमुख मोहन भागवत बोले-परिवार नहीं चाहिए तो संन्यासी बनें आ


पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक RSS कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय समाज में परिवार की संरचना बनाए रखने के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप के कॉन्सेप्ट सभी के सामने है. इसमे आप जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं. यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि परिवार, शादी, सिर्फ़ शारीरिक संतुष्टि का ज़रिया नहीं है. यह समाज की एक इकाई है. परिवार ही वह जगह है जहां एक व्यक्ति समाज में रहना सीखता है. लोगों के मूल्य वहीं से आते हैं.


मोहन भागवत ने कहा कि परिवार एक संस्कृति और अर्थव्यवस्था का संगम है. ये कुछ मूल्यों को अपनाकर समाज को आकार देता है. उन्होंने कहा कि हमारी आर्थिक गतिविधि भी परिवार के ज़रिए होती है. देश की बचत परिवारों में होती है. सोना परिवारों में होता है. सांस्कृतिक इकाई, आर्थिक इकाई, सामाजिक इकाई सब परिवार है. उन्होंने कहा कि आप संन्यासी बन सकते हैं, शादी न करें, ठीक है. लेकिन शादी न करना और परिवार को भी बनाए रखना, ऐसा नहीं हो सकता.

बच्चों के सवाल पर क्या बोले आरएसएस प्रमुख?

परिवार को बनाए रखने के मुद्दे पर, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हालांकि बच्चों की संख्या तय करने या शादी की उम्र तय करने का कोई फॉर्मूला नहीं है. लेकिन, रिसर्च से पता चलता है कि तीन बच्चे आदर्श हो सकते हैं और शादी 19 से 25 साल की उम्र में की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि कितने बच्चे होने चाहिए, यह परिवार में तय होता है, पति और पत्नी और समाज इसका कोई फ़ॉर्मूला नहीं दिया जा सकता. मैंने डॉक्टरों वगैरह से बात करके कुछ जानकारी हासिल की है और वे कहते हैं कि अगर शादी जल्दी हो खासतौर पर 19-25 साल की उम्र के बीच और तीन बच्चे हों तो माता-पिता और बच्चों की सेहत अच्छी रहती है.उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि तीन बच्चे होने से लोग ईगो मैनेजमेंट सीखते हैं.

जनसंख्या को प्रभावी ढंग से मैनेज करने की जरूरत

जनसंख्या और डेमोग्राफिक बदलाव पर चर्चा करते हुए मोहन भागवत ने दावा किया कि भारतीय जनसंख्या को ‘प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया गया है.’ उन्होंने कहा कि हमने जनसंख्या को प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं किया है. जनसंख्या एक बोझ है, लेकिन यह एक संपत्ति भी है. हमें अपने देश के पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, महिलाओं की स्थिति, उनके स्वास्थ्य और देश की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए 50 साल के अनुमान के आधार पर एक पॉलिसी बनानी चाहिए.

Post a Comment

Previous Post Next Post