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श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुस्लिम लीग के साथ बनाई थी सरकार, फिर नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप?-जयराम रमेशShyama Prasad Mukherjee had formed a government with the Muslim League, so why accuse Nehru of appeasement? - Jairam Ramesh

 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन का हवाला देते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने भाजपा को तुष्टीकरण पर ऐतिहासिक अकाट्य तथ्यों के साथ घेरा. उन्होंने कहा कि संसद में वंदे मातरम पर बहस करवाने का मकसद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना है.राज्यसभा में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह पर बहस के दौरान बोलते हुए कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महाससचिव ने कहा कि वंदे मातरम को मौजूदा स्वरूप में अपनाने का फैसला महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सामूहिक रूप से लिया गया था. उन्होंने कहा कि इन सभी नेताओं ने उस समय देश में बढ़ती सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की स्थिति पर चिंता जताई थी.


आनंद बाजार पत्रिका का क्यों किया जिक्र?

जयराम रमेश ने बताया कि गुरुदेव टैगोर ने आनंद बाज़ार पत्रिका में एक लेख में इसकी पुष्टि करते हुए लिखा था कि कांग्रेस कार्यसमिति ने वंदे मातरम को मौजूदा स्वरूप में राष्ट्रगीत के तौर पर अपनाने के उनके सुझाव को मान लिया था. जयराम रमेश ने बंगाल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हिंदू महासभा और फ़जलुल हक के बीच गठबंधन सरकार का ज़िक्र किया, वहीं जिन्होंने 1940 में लाहौर में पाकिस्तान के लिए प्रस्ताव पेश किया था.

उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा ने सिंध और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन सरकारें बनाई थीं और इन तथ्यों के बावजूद भाजपा नेहरू पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है. जयराम रमेश ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा जिन्ना की तारीफ करने और भाजपा के पूर्व मंत्री जसवंत सिंह द्वारा जिन्ना की प्रशंसा में किताब लिखने का भी उल्लेख किया.

जयराम रमेश ने कहा कि वंदे मातरम कांग्रेस के हर अधिवेशन में गाया जाता है. उन्होंने भाजपा पर न सिर्फ नेहरू, बल्कि गांधी, बोस, टैगोर, पटेल, पंत और अन्य सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों का भी अपमान करने का आरोप लगाया, जिन्होंने राष्ट्रीय गीत के मौजूदा स्वरूप पर एकमत होकर सहमति जताई थी.

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