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सख्त हुई सरकार, घुसपैठियों पर योगी की तलवार! Government becomes strict, Yogi's sword on infiltrators!

संम्पादकीय

उत्तर प्रदेश में अपराधियों और माफिया पर एनकाउंटर और बुलडोजर एक्शन के साथ ही अब प्रदेश की योगी सरकार ने घुसपैठियों के खिलाफ भी एक बड़ा अभियान शुरू कर दिया है। घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा। योगी सरकार के इस कदम को घुसपैठियों को खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है। राज्य की आतंरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने घुसपैठियों के खिलाफ 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने का खाका तैयार कर लिया है।



योगी सरकार क्यों उठा रही ये कदम?

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि  योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार ने कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के तहत घुसपैठियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। सरकार के इस कदम से जहां प्रदेश की आतंरिक सुरक्षा और सुदृढ़ होगी, वहीं दूसरी ओर प्रदेशवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ और पारदर्शी तरीके से मिलेगा। योगी सरकार के इस फैसले से पात्र व्यक्ति ही योजनाओं का लाभ उठा सकेगा। 

अपराधियों और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण

बयान के मुताबिक उप्र सरकार घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखेगी, इन केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था अभेद होगी, जिसे भेद पाना किसी के लिए भी नामुमकिन होगा। सरकार के सख्त कदम से प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था पर एक सकारात्मक असर पड़ेगा। यह कदम अपराधियों और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण को आसान बनाएगा। प्रदेश में अपराधों की संख्या कम होगी और इसके साथ ही लोगों का विश्वास भी सरकार की कार्यप्रणाली पर बढ़ेगा।  बयान के मुताबिक प्रदेश में घुसपैठियों की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ अपात्र लोग भी उठे रहे हैं। ऐसे में इनकी पहचान होने से सरकारी योजनाओं का लाभ असली हकदारों तक पहुंचेगा। 

माना जा रहा है कि घुसपैठियों को देश से बाहर करने कीयोगी सरकार की यह योजना पूरे देश के लिए मॉडल बन सकती है। सर्जिकल स्ट्राइक के तौर पर इस योजना को बताया जा रहा है। आइये जानते हैं कि क्या है यह योजना और इसे कैसे लागू करने का प्लान है।

इस तरह से होगी घुसपैठियों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक'

घुसपैठियों की पहचान और वेरिफिकेशन के लिए राज्य स्तर पर व्यापक अभियान चलाया जाएगा जो कि शुरू हो चुका है। इस अभियान के तहत संदिग्ध व्यक्तियों के पहचान दस्तावेजों (जैसे आधार, वोटर आईडी आदि) की जांच की जाएगी।

आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दस्तावेजों को स्कैन कर जांच की जाएगी। पुराने रिकॉर्ड की जांच और बायोमेट्रिक प्रोफाइल (फिंगरप्रिंट, फेस रिकग्निशन) तैयार करना।

सरकार ने 17 शहरी स्थानीय निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अवैध प्रवासियों की डिटेल्ड लिस्ट तैयार करें और आयुक्तों/आईजी को सौंपें।

हर जिले में अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाए जाने का आदेश जारी किया गया है। वहीं प्रत्येक संभाग में स्थायी केंद्र बनाए जाएंगे, जिनकी क्षमता 15,000 लोगों तक हो सकती है।

डिटेंशन सेंटर में तीन लेयर की सुरक्षा होगीष सीसीटीवी कंट्रोल रूम, फेस रिकग्निशन, थंब इम्प्रेशन और "अभेद्य" संरचना सुनिश्चित की जाएगी ताकि किसी के भागने की गुंजाइश न हो।

पहचान के बाद घुसपैठियों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा और विदेशी अधिनियम 1946 के तहत निर्वासित किया जाएगा।

फर्जी दस्तावेज बनाने वाले नेटवर्क की जांच की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाएंगे

सीमावर्ती जिलों (जैसे नेपाल सीमा साझा करने वाले 7 जिले) में विशेष निगरानी।

मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपील की है कि रोजगार देने से पहले पहचान सत्यापन करें और घुसपैठियों को लेकर अलर्ट रहें।

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