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साल 2025 के चुनावी समर में कौन बना सबसे बड़ा खिलाड़ी, किसके खाते आई सबसे बड़ी जीत Who became the biggest player in the 2025 election season, and who got the biggest victory?

 

साल 2025 में दिल्ली में बीजेपी लंबे इंतजार के बाद सत्ता में लौटी तो बिहार में एनडीए अपनी सत्ता बचाए रखने में कामयाब रही. इन 2 विधानसभा चुनावों के अलावा 12 राज्यों की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी कराए गए. साल की 3 सबसे बड़ी जीत उपचुनाव के जरिए आई.



साल 2025 के गुजरने में महज कुछ दिन ही रह गए हैं. यह साल भी कई मायनों में अच्छा रहा तो कई मायनों में खराब भी रहा. सियासी नजरिए से देखें तो कांग्रेस के लिए यह साल भी निराशा से भरा रहा जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले एनडीए की सत्ता का दायरा थोड़ा और बढ़ गया. इस साल दिल्ली और बिहार में ही विधानसभा चुनाव कराए गए, लेकिन इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम राजनीतिक दलों को बड़ा मैसेज देने में कामयाब रहे

दिल्ली में बीजेपी लंबे इंतजार के बाद सत्ता में लौटी तो बिहार में एनडीए अपनी सत्ता बचाए रखने में कामयाब रही. दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनावों के अलावा कई राज्यों की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी कराए गए. इनमें से कई सीटों पर चुनाव बेहद दिलचस्प हुए. परिणाम ने चौंकाया भी. हर चुनाव में इस पर सभी की नजर होती है कि सबसे छोटी जीत और सबसे बड़ी जीत किसके खाते में गई.

दिल्ली में सबसे बड़ी जीत AAP के खाते में

साल 2025 के चुनाव को देखें, दिल्ली में कराए गए विधानसभा चुनाव (70 सीट) में सबसे बड़ी जीत किसके खाते में गई. दिल्ली में इस बार सबसे बड़ी जीत हासिल करने का सेहरा बंधा था आले मोहम्मद इकबाल के सिर. सेंट्रल दिल्ली में पड़ने वाली मटिया महल विधानसभा सीट पर 11 प्रत्याशियों ने चुनौती पेश की थी, लेकिन मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी के आले मोहम्मद इकबाल और भारतीय जनता पार्टी की दीप्ति अरोड़ा के बीच रहा.

लेकिन इकबाल ने कुल पड़े वोटों में से 68.8% वोट अपने नाम कर लिए. उनको 58,120 वोट मिले तो दीप्ति के खाते में महज 15,396 वोट ही आए. इस तरह से 50 फीसदी से अधिक यानी 42,724 वोटों (50.7 फीसदी) के अंतर से चुनाव जीत लिया. इसी तरह दिल्ली की दूसरी बड़ी जीत भी आम आदमी पार्टी के खाते में गई. सीलमपुर सीट से चौधरी जुबेर अहमद ने 42,477 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

अब दिल्ली में सबसे छोटी जीत को देखें तो संगम विहार में बीजेपी के खाते में यह मुश्किल भरी जीत आई. पार्टी के प्रत्याशी चंदन कुमार चौधरी को महज 344 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी.

बिहार विधानसभा में रुपौल से सबसे बड़ी जीत

बात अब बिहार की. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए कराए गए चुनाव में परिणाम आने से पहले काफी हलचल रही. मुकाबला कांटे का करार दिया जा रहा था. राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाला महागठबंधन सत्ता पर काबिज होने की तैयारी में लगा था, लेकिन जब परिणाम आए तो यह चौंकाने वाला रहा. महागठबंधन को करारी शिकस्त मिली, जबकि एनडीए के खाते में रिकॉर्डतोड़ जीत गई.

बिहार में सबसे बड़ी जीत गई नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खाते में. पार्टी के प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल ने पूर्णिया जिले की रुपौली सीट से अपनी दावेदारी पेश की. कलाधर प्रसाद को 14 अन्य प्रत्याशियों ने चुनौती दी. लेकिन इस हाई प्रोफाइल सीट पर मुकाबला एकतरफा रहा. कलाधर ने बिहार की कद्दावर महिला नेता और मंत्री रहीं बीमा भारती को रिकॉर्डतोड़ मतों के अंतर से हरा दिया.

साल की सबसे छोटी हार दर्ज हुई संदेश सीट पर

कलाधर ने 124,826 वोट (55.5%) हासिल किए जबकि बीमा के खाते में 51,254 वोट (22.8%) आए. इस तरह से कलाधर प्रसाद के नाम 73,572 मतों के अंतर से बड़ी जीत हासिल हुई. प्रतिशत के आधार पर कलाधर को 33.6% मतों के अंतर से जीत मिली थी. बिहार की दूसरी सबसे बड़ी जीत आई पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट से. यहां से बीजेपी के संजीव चौरसिया ने 59,079 मतों (30.6%) के अंतर से जीत दर्ज कराई.

सबसे कड़े मुकाबले वाले सीट की बात करें तो भोजपुर जिले की संदेश विधानसभा सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला हुआ था. राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से युवा प्रत्याशी दीपू सिंह यादव को खड़ा किया और उनके सामने थे जेडीयू के राधा चरण सिंह. दोनों के बीच कड़ा मुकाबला रहा. राधा चरण को 80,598 वोट मिले तो दीपू सिंह के खाते में 80,571 वोट आए. 27 साल के दीपू को महज 27 वोटों के अंतर से हार मिली. इस हार के साथ ही वह अपने पिता और माता की जीत के सिलसिले को बनाए रखने में नाकाम रहे.

विधानसभा चुनाव के लिहाज से साल 2025 की सबसे बड़ी जीत रुपौली से कलाधर प्रसाद को मिली थी. लेकिन यह जीत इस साल की सबसे बड़ी जीत के रूप में दर्ज नहीं हो पाई. 2 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में कराए गए चुनाव के अलावा 12 राज्यों की 15 सीटों पर अलग-अलग वजहों से उपचुनाव कराए गए.

मिल्कीपुर में मिली साल की तीसरी सबसे बड़ी जीत

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर फरवरी में उपचुनाव कराया गया. यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई थी, और अंत में पार्टी जीत हासिल करने में कामयाब रही. पिछले साल लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट गंवाने वाली बीजेपी के लिए यहां की मिल्कीपुर सीट पर जीत हासिल करने का दबाव था. अवधेश के सांसद बनने के बाद उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई थी.

बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को उतारा तो समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को खड़ा किया. चंद्रभानु ने 61,710 वोट के अंतर से जीत हासिल की. यह जीत साल की तीसरी सबसे बड़ी जीत के रूप में दर्ज हुई थी.

ओडिशाः नुआपाड़ा में उलटफेर, दूसरी बड़ी जीत

ओडिशा की नुआपाड़ा विधानसभा सीट पर बीजू जनता दल के तत्कालीन विधायक राजेंद्र ढोलकिया के निधन की वजह से उपचुनाव कराना पड़ा. इस सीट पर बीजेपी ने जय ढोलकिया को मैदान में उतारा और उनके सामने कांग्रेस ने घासी राम माझी को खड़ा किया. जय को 58.27 फीसदी यानी 123,869 वोट मिले. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रत्याशी को 40,121 वोट ही आए.

इस तरह से बीजेपी के प्रत्याशी को 83,748 मतों (39.40%) के अंतर से जीत हासिल हुई. खास बात यह रही कि उपचुनाव से पहले यह सीट बीजू जनता दल के पास थी, लेकिन उपचुनाव में बीजेपी ने बीजेडी से यह सीट झटक ली. साल 2025 में देशभर में हुए चुनाव में मतों के अंतर से यह दूसरी सबसे बड़ी जीत रही थी.

साल की सबसे बड़ी जीत, विजेता को मिले 75% वोट

बात अब साल 2025 के चुनाव में सबसे बड़ी जीत की. यह जीत आई थी तमिलनाडु से. राज्य में सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने इरोड (ईस्ट) विधानसभा सीट के उपचुनाव में रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की, जिसमें पार्टी के प्रत्याशी वीसी चंद्रकुमार ने नाम तमिलर काची (NTK) की प्रत्याशी एमके सीतालक्ष्मी को 91,558 वोटों (59.11%) से हरा दिया.चंद्रकुमार को उपचुनाव में 74.7% यानी कुल 1,15,709 वोट मिले, जबकि श्रीलक्ष्मी के खाते में महज 25,151 वोट (15.59%) ही आए. यह जीत इस मायने में खास रही क्योंकि उपचुनाव में कुल 46 उम्मीदवार मैदान में थे और इसमें NOTA के खाते में भी 6,109 वोट पड़े.

यह उपचुनाव कांग्रेस के तत्कालीन विधायक EVKS एलंगोवन निधन की वजह से कराया गया था. इस उपचुनाव में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और एक्टर से नेता बने विजय की तमिलगा वेट्री कड़गम (TVK) ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे.

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