भारत और अफगानिस्तान अपने पहले की तरह के संबंध स्थापित करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्री जब भारत पर आए तभी विदेश मंत्री ने ऐलान कर दिया था कि भारत जल्द ही काबुल में अपना दूतावास फिर से शुरू करेगा। वहीं अब तालिबान इसी महीने नई दिल्ली में अपने पहले राजनयिक की नियुक्ति करेगा। वहीं दिसंबर के आखिरी तक तालिबान नई दिल्ली में अपना दूसरा राजनयिक भेजेगा।
बता दें कि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने अन्य देशों की तरह अपना दूतावास बंद कर दिया था। हालांकि भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की मदद करनी नहीं छोड़ी थी। भारत ने काबुल में एक टेक्निकल मिशन शुरू करके मानवीय सहायता का काम जारी रखा।
मुत्ताकी के दौरे ने भारत और अफगानिस्तान के संबंधों की एक नई शुरूआत कर दी है। पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद और पाकिस्तानी सेना के कार्रवाई को लेकर भी भारत अफगानिस्तान के साथ खड़ा है। भारत ने कहा है कि इस्लामाबाद द्वारा सीमा पार आतंकवाद को अंजाम दिए जाने के प्रयास पड़ोसी देशों को स्वीकार्य नहीं हैं। भारत की यह टिप्पणी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस्तांबुल में रुकी हुई शांति वार्ता के बीच आई है। संबंधित वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ़ना था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था, 'पाकिस्तान इस बात से नाराज है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्रों पर संप्रभुता का उपयोग कर रहा है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को लगता है कि उसे दंड से मुक्ति के साथ सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने का अधिकार है।' उन्होंने कहा, 'इसके पड़ोसी इसे अस्वीकार्य मानते हैं। भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।'

Post a Comment