गुजरात एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने एक बड़ी आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करते हुए तीन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है. जांच में सामने आया है कि आरोपी रिसिन जैसे घातक रासायनिक जहर की तैयारी में जुटे थे. यह वही पदार्थ है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केमिकल वेपन की सबसे घातक श्रेणी में आता है.
गिरफ्तार आरोपियों में एक का नाम अहमद मोहिउद्दीन सैयद बताया जा रहा है, जो चीन से MBBS की पढ़ाई कर चुका है. प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि सैयद ने अपने रासायनिक ज्ञान का दुरुपयोग करते हुए रिसिन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी.
क्या है रिसिन?
रिसिन अरंडी के बीज (Castor Beans) से निकाला जाने वाला बेहद जहरीला प्रोटीन है.
यह Chemical Weapons Convention (CWC) की Schedule-1 सूची में दर्ज है — यानी सबसे घातक रासायनिक हथियारों में शामिल.
सिर्फ 1.78 मिलीग्राम रिसिन किसी व्यक्ति की मौत के लिए पर्याप्त होता है.
यह सांस, इंजेक्शन या निगलने के जरिए शरीर में जाने पर 48 से
72 घंटे में घातक असर दिखाता है.
इसका कोई एंटीडोट या इलाज अब तक विकसित नहीं हुआ है.
अंतरराष्ट्रीय संस्था OPCW (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) के अनुसार, यह पदार्थ गर्मी और पानी के संपर्क में आने पर कमजोर पड़ जाता है, इसलिए बड़े पैमाने पर फैलाना कठिन होता है.
अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में रिसिन का इस्तेमाल
2013 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को रिसिन मिले पत्र भेजे गए थे. 2020 मेंतत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी रिसिन युक्त लिफाफा भेजा गया, जिसे मेल सॉर्टिंग के दौरान पकड़ लिया गया.
ATS की कार्रवाई और बरामदगी
गुजरात ATS को आरोपियों के पास से रासायनिक उपकरण और रिसिन तैयार करने के लिए उपयोग किए गए केमिकल्स मिले हैं. जांच अधिकारियों का कहना है कि आरोपी रिसिन तैयार करने की प्रारंभिक रासायनिक प्रक्रिया तक पहुंच चुके थे. एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि रिसिन का इस्तेमाल कहां और कब किया जाना था और इसे बनाने में किस किस ने आतंक के डॉक्टर की मदद की.

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