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भगोड़े जाकिर नाइक की बांग्लादेश में नो एंट्री, यूनुस सरकार ने नहीं दी मंजूरी !Fugitive Zakir Naik is not allowed to enter Bangladesh, Yunus government did not give permission!

 ढाका: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने भारत में वांछित कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संभावित बांग्लादेश दौरे को लेकर आलोचना के बाद अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। जाकिर नाइक को फिलहाल बांग्लादेश आने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया गया है। मंगलवार को सचिवालय स्थित गृह मंत्रालय के बैठक कक्ष में कानून व्यवस्था कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट प्रथम आलो ने यह जानकारी दी है। इसके पहले यूनुस सरकार ने नफरती भाषणों के लिए कुख्यात जाकिर नाइक का भव्य स्वागत करने का फैसला किया था। भारत ने जाकिर नाइक के बांग्लादेश दौरे पर सार्वजनिक बयान दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि जाकिर नाइक को ढाका पहुंचने पर भारत को सौंप दिया जाएगा।


भारत में कई मामलों में वांछित चल रहा जाकिर नाइक इस समय भागकर मलेशिया में रह रहा है। इसके पहले रिपोर्टों में बताया गया था कि जाकिर नाइक एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 28-29 नवम्बर को बांग्लादेश का दौरा कर सकता है। स्पार्क इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पास जाकिर के कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी थी। यह कार्यक्रम ढाका के अगरगांव इलाके में आयोजित किया जाना था। स्पार्क इवेंट मैनेजमेंट नामक एक कंपनी ने हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट में घोषणा की कि वह जाकिर नाइक को बांग्लादेश लाएगी।

शेख हसीना ने लगाया था प्रतिबंध

कंपनी ने कहा था कि यह कार्यक्रम बांग्लादेश सरकार की अनुमति और संबंधित अधिकारियों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इसके पहले बांग्लादेश की पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार ने जाकिर नाइक के देश में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। ढाका में जुलाई 2016 में एक कैफे पर हुआ आतंकी हमले में शामिल दो आतंकवादियों के बारे में पता चला था कि वे जाकिर नाइक के भाषणों से प्रेरित थे।

भारत में भी जाकिर नाइक पर आतंकवाद और मनी लॉण्ड्रिंग के आरोपों के गंभीर मामले हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इसकी जांच कर रही है। NIA ने नाइक के खिलाफ पहली बार 2016 में विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच कथित तौर पर दुश्मनी बढ़ाने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मामला दर्ज किया था। नाइक उसी साल भारत से भागकर मलेशिया चले गए और वहां स्थायी निवास का दर्जा हासिल कर लिया।

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