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कर्नाटक में नई नहीं है कुर्सी की लड़ाई, पहले भी सीएम पद के लिए छिड़ी थी त्रिकोणीय लड़ाईThe battle for the CM post is not new in Karnataka; there has been a triangular fight for the CM post in the past as well.

 

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सत्ता संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। हाल ही में सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार की मुलाकात ने 2004-2008 के दौर की याद दिला दी, जब कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन बना था। बाद में जेडी(एस) ने बीजेपी से हाथ मिलाया और 20-20 महीने के लिए सीएम पद साझा करने का समझौता किया। हालांकि, जेडी(एस) ने अपना वादा नहीं निभाया, जिससे सरकार गिर गई।



यह पहली बार नहीं है, जब कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव देखने को मिल रहा है। 2006-07 में ऐसा ही कुछ देखने को मिला था, जब सीएम की कुर्सी के लिए तीन पार्टियों के बीच तकरार चल रही थी। उस दौरान कर्नाटक में दल बदला गया, 2 बार मुख्यमंत्री बदला और फिर भी सरकार गिर गई। आखिर में राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लागू करने का सुझाव दे दिया।

2004 में बनी गठबंधन सरकार

यह कहानी 2004 में शुरू हुई। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 3 बड़ी पार्टियां सामने आईं- कांग्रेस, जेडी(एस) और बीजेपी। नतीजों में तीनों पार्टियों को बहुमत नहीं मिला। ऐसे में जेडी(एस) किंगमेकर बनी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली। मगर, कहानी में असली ट्विस्ट तो 2 साल बाद आया।

2 साल बाद टूटा गठबंधन

2006 में जेडी(एस) प्रमुख कुमारास्वामी ने बीजेपी से हाथ मिला लिया। दोनों पार्टियों के बीच समझौता हुआ कि 20-20 महीने तक बारी-बारी सीएम की कुर्सी दोनों को मिलेगी। पहले कुमारास्वामी मुख्यमंत्री बने। हालांकि, गठबंधन के कुछ समय बाद ही दोनों के रिश्तों में भ्रष्टाचार और विकास कार्यों को लेकर खटास आने लगी।

20 महीने बीतने के बाद जब बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद सौंपने की बात कही, तो जेडी(एस) अपने वादे से मुकर गई। कुमारास्वामी ने पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। बीजेपी ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और गठबंधन तोड़ दिया।

2007 में गिरी सरकार

अक्टूबर 2007 में कुमारास्वामी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक के राज्यपाल ने विधानसभा भंग करते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने का सुझाव दिया। कर्नाटक की सियासत में कई महीनों तक उथल-पुथल की स्थिति बनी रही। मई 2008 में कर्नाटक में फिर से विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 110 सीटों से साथ बीजेपी ने जीत हासिल की और सालों से चल रहे सियासी संग्राम पर ब्रेक लग गया।

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