दतिया (मध्यप्रदेश)। विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ पीतांबरा माई मंदिर परिसर में हुए निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। मंदिर परिसर में बने भक्त निवास और अन्य निर्माणों की गुणवत्ता, टेंडर प्रक्रिया और तकनीकी अनुमोदनों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इसी मामले को लेकर दतिया के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग सिंह द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें निर्माण प्रक्रिया में लापरवाही, वित्तीय अनियमितता और मनमाने तरीके से नियमों की अवहेलना किए जाने की बात कही गई है। ज्ञापन में यह स्पष्ट कहा गया है कि मंदिर परिसर में निर्माण कार्य पूरी तरह सरकारी नियमों और तकनीकी मानकों के विपरीत किया गया है, जिसके कारण न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है, बल्कि मंदिर में दर्शन करने आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि निर्माण कार्य का टेंडर मध्यप्रदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित न कर राजस्थान के समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं और यह संदेह उत्पन्न होता है कि ठेकेदारों को चयनित करने में पक्षपात किया गया। निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 24 लाख रुपए बताई गई थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 35 से 40 लाख रुपए तक दर्शाया गया, जबकि भुगतान प्रक्रिया में PWD की निर्धारित S.O.R. दरों का पालन नहीं किया गया और मनमर्जी के आधार पर बाजार दरें लागू की गईं। यह पूरा मामला सरकारी धन के अनियंत्रित और संभवतः अनुचित उपयोग की ओर संकेत करता है।
निर्माण गुणवत्ता को लेकर प्राप्त शिकायत में यह भी कहा गया है कि लगभग 2200 वर्ग फीट में बने नए भक्त निवास में निर्माण कार्य पूर्ण होने के तुरंत बाद दीवारों और छतों से पानी रिसने लगा, जिससे निर्माण की गुणवत्ता संदिग्ध प्रतीत होती है। यह भी बताया गया है कि निर्माण न तो किसी योग्य इंजीनियर की स्वीकृति से हुआ और न ही इसके लिए Detailed Project Report (DPR) तैयार की गई, जो तकनीकी दृष्टि से अनिवार्य है। इससे यह आशंका व्यक्त की गई है कि यह निर्माण भविष्य में बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
इस मामले में अब न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है। मंदिर व्यवस्थापन से जुड़े पदाधिकारियों के विरुद्ध चल रहे अन्य मामलों के साथ यह प्रकरण भी न्यायिक प्रक्रिया में आ चुका है। श्री पीतांबरा पीठ दतिया के सहायक व्यवस्थापक मनोज मुद्गल द्वारा पूर्व में प्रस्तुत किए गए कथित फर्जी हलफनामे एवं वित्तीय अनियमितताओं को लेकर अधिवक्ता संभू गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर ने गंभीरता से सुनवाई करते हुए जिला कलेक्टर दतिया, पुलिस अधीक्षक दतिया एवं नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायालय द्वारा जारी यह आदेश न केवल मंदिर प्रशासन बल्कि जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
उल्लेखनीय है कि मंदिर परिसर में निर्माण संबंधी शिकायतों की जांच पूर्व से ही प्रशासन स्तर पर लंबित थी, जिसकी रिपोर्ट अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई है। वहीं अब 24 नवंबर 2025 को प्राप्त न्यायालय के आदेश को इस पूरे भ्रष्टाचार प्रकरण पर निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अनुराग सिंह द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में मांग की गई है कि निर्माण कार्य की पारदर्शी तकनीकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि मंदिर की पवित्रता, प्रशासनिक जवाबदेही और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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