दलबदलूंऔं का आपस में संघर्ष !
भाजपा के कई कद्दावर नेता प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली की दौड़ लगा रहे थे। इन्हें पसंद करने वाले नेताओं ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगाया, तब भी ये सफल नहीं हुए और इस तरह ऐसे नेताओं के हाथ से भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में जगह पाने के अवसर निकल गए। अब विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता में जगह पाने का एक मात्र अंतिम अवसर बाकी है इसलिए एक को चाहने वाले सैंकड़ों दावेदार हैं लेकिन इनमें से प्रभावी दावेदारों की संख्या 10 से लेकर 50 तक पहुंच गई है।
यहां संभावनाएं
मेला प्राधिकरण, राज्य नीति एवं योजना आयोग, सामान्य निर्धन कल्याण आयोग, सीआआइएसपी, बेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कार्यरिशन, स्टेट सिविल सप्लाई कापरिशन, खनिज विकास निगम, खाद एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, लघु उद्योग, राज्य बीज निगम, राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल विकास प्राधिकरण, वन विकास निगम लिमिटेड जैसे कई निगम, मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरणों में नियुक्तियां बाकी हैं।
प्रदेश के 50 से अधिक निगम मंडल, आयोग व प्राधिकरणों में अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को नियुक्तियों को लेकर जारी कवायद के बीच नया पेंच फंस गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के कई कद्दावर नेता प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाने के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली की दौड़ लगा रहे थे। इन्हें पसंद करने वाले नेताओं ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगाया, तब भी ये सफल नहीं हुए और इस तरह ऐसे नेताओं के हाथ से भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में जगह पाने के अवसर निकल गए। अब विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता में जगह पाने का एक मात्र अंतिम अवसर बाकी है इसलिए एक को चाहने वाले सैकड़ों दावेदार है लेकिन इनमें से
प्रभावी दावेदारों की संख्या 10 से लेकर 50 तक पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे दिग्गजों के बीच से एक पद के लिए एक व्यक्ति चुनना सत्ता व संगठन के लिए नई मुश्किल हो गई है।
अब प्रदेश कार्यकारिणी में तीन साल से मौके नहीं
भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित हो चुकी है। कई नेताओं को जगह मिलने की उम्मीद थी। इसको लेकर कई स्तर पर खींचतान जारी है लेकिन ये खुलकर विरोध भी दर्ज नहीं करा पा रहे। पार्टी के कुछ दिग्गजों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 10 से लेकर 25 साल से भाजपा
ढलती उम्र भी नेताओं की बेचैनी का सबब
भाजपा में हमेशा से अनुभव को तवज्जो मिलती रही है लेकिन अब नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने पर भी फोकस बढ़ा है। प्रदेश कार्यकारिणी में नए और युवा चेहरों को शामिल करना, इसका बड़ा उदाहरण है। इस फैक्टर के हावी होने से कई दिग्गजों के सामने ढलती उम्र के साथ पिछड़ने का खतरा हावी होता जा रहा है जिसके चलते ये ऐसे कई नेता इस अवसर को किसी भी कीमत पर गंवाना नहीं चाहते।
अधिकतर को कोई अवसर नहीं मिले
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने पार्टी के कई नेताओं के टिकट काटे तो कई कांग्रेसियों का स्वागत भी किया। तब से लेकर अब तक अधिकतर को कोई अवसर नहीं मिले। एक बड़े मौजूदा भाजपा व पूर्व कांग्रेसी नेता दबाव बना रहे हैं कि उन्हें जगह दी जाए, क्योंकि वर्तमान से अच्छी स्थिति तो उनकी कांग्रेस में ही थी। ऐसे कई उदाहरण है, जो सत्ता-संगठन के लिए चुनौती है। उधर, गुना के केपी यादव को मिले आश्वासन का किस्सा छुपा नहीं है।
की सक्रिय राजनीति में है और हर मोर्चे पर सफल रहे, संगठन ने जो काम दिया, उसे पूरा किया। उनके क्षेत्र में उनकी कोई कमी भी नहीं रही, तब भी अवसर नहीं मिला। भाजपा की मोहन सरकार को 13 दिसंबर को दो साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद तीन साल बचेगे। जो कामी नेता निगम मंडल, प्राधिकरण व आयोगों में जगह नहीं बना पाए, उनके लिए सत्ता में जगह बनाने के लिए इन तीन साल में कोई दूसरा मौका नहीं आना है इसलिए भी ऐसे दिग्गज जोर लगा रहे हैं।
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