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बिहार में कैसा चल रहा प्रचार: अमित शाह का अभियान शुरू, प्रियंका-राहुल दिखेंगे मैदान में, पीके से किसे नुकसान? How is the campaign going in Bihar: Amit Shah's campaign begins, Priyanka and Rahul will be seen in the field, who will be harmed by PK?

 

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए आठ दिन प्रचार के बचे हैं। राजद के संस्थापक लालू प्रसाद यादव को एक चिंता सता रही है। लालू को लग रहा है कि जिस सरगर्मी से चुनाव की घोषणा से पहले प्रचार की जो सरगर्मी थी, वह रंग नहीं ले पाई है। उन्होंने अपनी चिंता कांग्रेस मुख्यालय तक पहुंचा दी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सचिवालय सूत्र का कहना है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बिहार जा रही हैं। वह मंगलवार को बेगूरूसराय में कांग्रेस प्रत्याशी और महागठबंधन के समर्थन में प्रचार करेंगी। राहुल गांधी 29 अक्टूबर को तेजस्वी यादव के साथ मुजफ्फरपुर और दरभंगा में संयुक्त जनसभा को संबोधित करेंगे। राजद के संस्थापक सदस्यों में एक शिवानंद तिवारी कहते हैं कि असल लड़ाई एनडीए और महागठबंधन में है। वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा कहते हैं कि एनडीए हो या महागठबंधन जो जितनी एकजुटता से प्रचार अभियान में जुटेगा, उसे उतनी सफलता मिलने की संभवना है।




अमित शाह हुए सक्रिय, चेहरा नीतीश कुमार का और रणनीति भाजपा कीकेन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बाबत सक्रिय हैं। छह नवंबर को पहले चरण के लिए 18 जिले की 121 सीटों पर मतदान होना है। इसके ठीक पांच दिन बाद 20 जिले की 122 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान होगा। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और बिहार के प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान लगातार पार्टी और एनडीए के भीतर समन्वय बनाने में लगे हुए हैं। आरा क्षेत्र में भी पार्टी काफी तेजी से समीकरण ठीक करने में लग गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान के घर जाने और चिराग द्वारा मुख्यमंत्री के पैर छूने को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। भाजपा का ध्यान नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर बढ़ रहे भ्रम की तरफ भी है। महागठबंधन इस बात को तेजी से फैलाने का काम कर रहा है कि चुनाव का नतीजा आने के बाद भाजपा खुद ड्राइविंग सीट पर आ जाएगी।  



भाजपा का बंटाधार करने में जुटे हैं प्रशांत किशोरनिरंजन कुमार कहते हैं कि जब दो गुजराती कहकर या गुजरात में बुलेट ट्रेन से लेकर परियोजना का हवाला देकर पीके तंज कसते हैं कि तो जनता खूब ताली पीटती है। प्रशांत किशोर ने चुनाव की घोषणा से पहले ही भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और जद(यू) के नेता के चेहरे का रंग फीका कर दिया था। हालांकि वह तुलना में नीतीश कुमार पर कम हमला बोलते हैं। राजद और तेजस्वी यादव पर हमला तो बोलते हैं, लेकिन थोड़ा बख्श देते हैं। भाजपा के नेता प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज को लेकर दो तर्क देते हैं। पहला तर्क तो यह कि प्रशांत किशोर की पार्टी के प्रत्याशी सरकार विरोधी लहर वाला वोट पाएंगे। यह एनडीए के प्रत्याशियों के हित में है, क्योंकि यह वोट महागठबंधन के पाले में जाने पर दिक्कत हो सकती थी। दूसरे प्रशांत किशोर की पार्टी विधानसभा चुनाव में 5-7 प्रशित वोट पा जाए तो बड़ी बात है। 

प्रशांत किशोर की जन सुराज को वोट मिलगा तो किसका घाटा होगा?दिल्ली की एक मशहूर सर्वेक्षण एजेंसी पिछले तीन महीने से बिहार में बिहार में व्यापक सर्वे कर रही है। कांग्रेस के कृष्णा अल्लावरु और सुनील कानूगोलू की टीम ने भी इस पर विशेष ध्यान दिया था। तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव के लिए भी यही चिंता का विषय था। हालांकि संजय वर्मा कहते हैं कि जदयू के नेता इसे लेकर बहुत फिक्र नहीं कर रहे थे, लेकिन भाजपा को काफी फिक्र थी। भाजपा ने इसे लेकर गंभीरता से जमीनी जानकारी इकट्ठा की है। माना यह जा रहा है कि जन सुराज के 5-7 प्रतिशत वोट तक सिमटने पर बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होगा। लेकिन यदि जन सुराज वोट दहाई प्रतिशत से आगे जाने पर समीकरण बिगड़ सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार कहते हैं कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन मुझे जन सुराज तो इस बार ‘वोट कटवा’ की भूमिका में ज्यादा नजर आ रही है

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