परीक्षित गुप्ता
अभिनेता अक्षय कुमार की बेटी नितारा के साथ हुई घटना और लखनऊ के बीस वर्षीय युवक द्वारा अपनी मां की हत्या ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के खतरों को चिंताजनक रूप में सामने लाती हैं। ऑनलाइन गेमिंग के वित्तीय और मनोवैज्ञानिक जोखिम भी छिपे हुए हैं। गेमिंग और गैंबलिंग के बीच की रेखा बहुत धुंधली हो गई है।
अक्षय कुमार की बेटी नितारा के साथ हुई साइबर सुरक्षा संबंधी घटना और लखनऊ में एक 20 वर्षीय युवक द्वारा अपनी मां की हत्या, ये दोनों घटनाएं ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के खतरों को चिंताजनक रूप में सामने लाती हैं। आज की डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग के भीतर अलग-अलग स्तरों पर वित्तीय और मनोवैज्ञानिक जोखिम भी िछपे हुए हैं। प्रारंभ में, ऑनलाइन गेमिंग का मकसद होता है कौशल विकसित करना, प्रतिस्पर्धा में भाग लेना, और सामाजिक संपर्क बनाना। गेम्स के बढ़ते डिजाइन और फीचर्स, जैसे मल्टीप्लेयर मोड, चैट विकल्प, और पुरस्कार आधारित सिस्टम से युवा इस दुनिया में गहरे उतर जाते हैं। परंतु धीरे-धीरे इस गेमिंग में असली पैसे से खेलने की प्रवृत्ति बढ़ने लगी।
आज कई गेम्स में खिलाड़ी वास्तविक पैसे लगाकर जीतने या हारने का जोखिम उठाते हैं और जुए की लत में फंस जाते हैं। यह कब तक ‘गेमिंग’ होता है और कब ‘जुआ’ बन जाता है, इसका विभाजन कर पाना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों के बीच की रेखा बहुत धुंधली हो गई है। जब कोई युवा गेमिंग से जुए की ओर बढ़ता है, तो उस पर मानसिक दबाव आता है। वह ज्यादा पैसे लगाने लगता है, हार की स्थिति में कर्ज लेता है और इस चक्र से बाहर निकलने के बजाय और फंसता जाता है। ऑनलाइन गेमिंग का यह वित्तीय पक्ष आर्थिक नुकसान पहुंचाने के अलावा खिलाड़ी को डिप्रेशन और आक्रामकता की ओर ले जाता है।अभिनेता अक्षय कुमार ने हाल ही में एक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से अपनी बेटी नितारा के साथ हुई एक अप्रिय घटना का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि नितारा वीडियो गेम खेल रही थी, जब एक अज्ञात व्यक्ति ने शुरुआत में उस से दोस्ताना बातचीत कर बाद में उससे अपने नग्न चित्र दर्शाने के लिए कहा। यह घटना दर्शाती है कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों को कई प्रकार के खतरे हो सकते हैं, जिनमें सबसे गंभीर है यौन उत्पीड़न का खतरा। अक्षय कुमार ने इसके बाद स्कूलों में साइबर सुरक्षा और जागरूकता के लिए विशेष कक्षाएं शुरू करने की मांग उठाई, ताकि बच्चे ऐसे खतरों को समझ सकें और सुरक्षित रह सकें। उन्होंने इसे डिजिटल युग की एक बड़ी सामाजिक चुनौती कहा, जो सड़क के अपराध से कहीं अधिक खतरनाक है।इसी माह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग के आदी बीस वर्षीय निखिल यादव उर्फ गोलू ने अपनी मां रेशमा यादव की हत्या कर दी। उसने ऑनलाइन गेमिंग के दौरान लाखों रुपये गंवा दिए थे। इन पैसों को चुकाने के लिए उसने दूसरी कई एप्स से ऊंचे ब्याज पर पैसा उधार लिया। इस कर्ज को समय पर न चुका पाने के कारण निखिल अपने घर से गहने चुराने लगा। पकड़े जाने पर जब मां ने उस से जवाब तलब किया, तो उसने उसकी हत्या कर दी। बाद में उसने अपने पिता रमेश यादव को कहानी सुनाई कि अज्ञात हमलावरों ने मां को मार डाला है और उस पर भी हमला किया, लेकिन वह बच निकला।पुलिस ने जब सीसीटीवी फुटेज देखी, तो निखिल शक के दायरे में आ गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और चुराए हुए गहने, उसका सेलफोन और वारदात का असलहा पेंचकस उसके कब्जे से बरामद कर लिया। निखिल ने जो किया, वह तो अक्षम्य है, लेकिन वह अकेला ही इस बुराई का शिकार नहीं है। सितंबर में लखनऊ के ही मोहनलालगंज इलाके के धनुवासाड़ गांव में छठी कक्षा के छात्र 14 वर्षीय यश कुमार यादव ने ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण आत्महत्या कर ली। यश ने ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान अपने पिता के खाते से लगभग 13-14 लाख रुपये खर्च कर दिए। पुलिस जांच में पता चला कि यश न केवल ऑनलाइन गेम खेल रहा था, बल्कि बिहार के एक गिरोह का शिकार भी था। गिरोह की एक लड़की और उसका साथी यश को गुमराह कर रहे थे। आत्महत्या से एक दिन पहले यश ने 51 हजार रुपये ट्रांसफर किए थे। पिता ने बताया कि जब उन्होंने यश के मोबाइल पर रोक लगाने की कोशिश की, तो वह आक्रामक हो गया और एक बार अपनी मां का गला दबाने की भी कोशिश की थी।इसी तरह राजस्थान के कोटा के एक दंपती इतने बेबस हो गए कि उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग में हुए नुकसान के बाद खुदकुशी कर ली। कर्नाटक के पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि 2023 से अब तक आत्महत्या के 32 मामले ऑनलाइन गैंबलिंग से जुड़े हैं और इनमें से दो तिहाई अकेले बंगलूरू से जुड़े हैं, जो देश की सिलिकॉन वैली है। गुम इन्सान और रिपोर्ट न हुई मौतों में छिपा यह आंकड़ा इससे कहीं अधिक भी हो सकता है।ऑनलाइन गैंबलिंग के शिकार हर क्षेत्र के लोग हैं-ड्राइवर, छोटे व्यापारी, छात्र, यहां तक कि वेतनभोगी कर्मचारी भी। हर मामला एक-सा है–उधार लिया पैसा, बढ़ता नुकसान, शर्म और हताशा। सामने सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा और कोई रास्ता नहीं। ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
यह लत सामाजिक अलगाव, पढ़ाई में गिरावट, नींद की कमी और निराशा का प्रमुख कारण बन रही है। ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग से जुड़ा आर्थिक दबाव किशोरों और युवकों में अवसाद और क्रोध को जन्म देता है, जिससे हिंसा और अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं।कर्नाटक के अलावा, तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों में भी कई आत्महत्या और हत्याएं ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी पाई गई हैं। परिवारों का आर्थिक पतन, कर्ज, और युवा मानसिक स्वास्थ्य के संकट ने भारत में इस समस्या को राष्ट्रीय सामाजिक महामारी की तरह प्रस्तुत किया है। ऑनलाइन गेमिंग मानसिक, आर्थिक और सामाजिक विनाश का कारण भी बन सकता है, खासकर जब वह ऑनलाइन गैंबलिंग का रूप ले लेता है। उक्त वारदात इस बात की नजीर हैं कि किस प्रकार यह समस्या व्यक्तिगत जीवन, परिवार, और समाज को प्रभावित कर सकती है।परिवार, समाज, स्कूल और सरकार को मिलकर एक समन्वित प्रयास करना होगा, ताकि ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग की लत और उससे जुड़ी हिंसा और अपराध को रोका जा सके। तभी बच्चे और युवा स्वच्छ, सुरक्षित और समृद्ध जीवन की ओर बढ़ सकेंगे।

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