रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। डीआरडीओ ने स्वदेशी सैन्य लड़ाकू पैराशूट सिस्टम विकसित किया है। इसका इस्तेमाल कर भारतीय जवानों ने 32,000 फीट की ऊँचाई से सफलतापूर्वक फ्रीफॉल जंप किया।
डीआरडीओ की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिसमेंट (ADRDE) और डिफेंस बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लैबोरेटरी बेंगलुरु (DEEL) ने मिलकर इस मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम को विकसित किया है।
आगरा के मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में इस पैराशूट प्रणाली को 32,000 फीट की ऊँचाई पर तैनात किया गया था। इससे भारतीय जवानों ने छलांग लगाई।
परीक्षण के दौरान विंग कमांडर विशाल लखेश, वीएम (जी), एमडब्ल्यूओ आर जे सिंह और एमडब्ल्यूओ विवेक तिवारी ने जंप किया। इससे स्वदेशी प्रणाली की दक्षता, विश्वसनीयता और उन्नत डिजाइन का पता चला।
सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पैराशूट सिस्टम में ये सबसे ऊँची थी। इस सफलता से स्वदेशी सिस्टम को भारतीय सेना में शामिल करने के रास्ते खुल गए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और सेना को इसके लिए बधाई दी है। उन्होंने इसे भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के लिए मील का पत्थर बताया।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे विदेशी पैराशूट प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी। साथ ही मरम्मत और रखरखाव में लगने वाला समय भी कम होगा। युद्ध के वक्त ये काफी काम आने वाला है।
एडीआरडीई के डिप्टी पीआरओ सुनील सैनी ने बताया कि यह उपलब्धि न केवल भारतीय रक्षा तकनीक की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि यह भारत को आत्मनिर्भर और आधुनिक सशस्त्र बलों की दिशा में अग्रसर करने वाला निर्णायक कदम भी है।

Post a Comment