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₹51 करोड़ के जुर्माने को ₹4 हजार करने वाले IAS ने खरीदी भोपाल में जमीन, RTI कार्यकर्ता के आरोपों को नकारा IAS officer who reduced ₹51 crore fine to ₹4,000 buys land in Bhopal, denies RTI activist's allegations


IAS Nagarjun B Gowda पर RTI एक्टिविस्ट आनंद जाट ने रिश्वत के पैसों से भोपाल में करोड़ों की जमीन खरीदने का आरोप लगाया है. यह आरोप उस विवादित आदेश के ठीक चार माह बाद आया है, जिसमें IAS गौड़ा ने ₹51.67 करोड़ के अवैध खनन जुर्माने को घटाकर मात्र ₹4032 कर दिया था.


मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में पदस्थ IAS अफसर नागार्जुन बी गौड़ा एक बार फिर चर्चा में हैं. हरदा के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट आनंद जाट ने एक बार फिर अफसर पर आरोप लगाए हैं. इस बार आरोप हैं कि आईएएस अफसर ने कथित तौर पर रिश्वत के रुपयों से राजधानी भोपाल में 8 करोड़ की 4 एकड़ जमीन खरीदी है. उधर आईएएस नागार्जुन बी गौड़ा ने कहा कि शासकीय सेवा में रहते हुए कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो सरकार की अनुमति से ली जाती है.

नए अपर कलेक्टर ने इस प्रकरण की सुनवाई की, जिसमें कंपनी ने नोटिस के जवाब में बताया कि उसने अनुमति प्राप्त खसरे पर खुदाई की थी. इसके बाद कंपनी के स्वीकार किए गए 2688 घन मीटर अवैध खनन के लिए 4032 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया गया. इस राशि में अवैध उत्खनन और पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए 2016-2016 रुपये शामिल हैं.

RTI कार्यकर्ता ने उठाए सवाल

RTI कार्यकर्ता आनंद जाट ने इस मामले में आरटीआई से जानकारी निकाली और आदेश पर सवाल खड़े किए. उन्होंने अधिकारियों पर रुपये के लेन-देन के आरोप लगाए हैं.

उधर, तत्कालीन एडीएम (वर्तमान जिला पंचायत सीईओ, खंडवा) डॉ. गौड़ा ने aajtak से बातचीत में मामला स्पष्ट किया और आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा कि बतौर न्यायाधीश दस्तावेजी साक्ष्य तथा अधिवक्ता के तर्क के आधार पर आदेश पारित किया गया है

आपत्ति हो तो अपील करें: हरदा कलेक्टर

इस संबंध में हरदा के कलेक्टर सिद्धार्थ जैन का कहना है कि तत्कालीन अधिकारी ने बतौर मजिस्ट्रेट जो आदेश जारी किया है, उस पर किसी को आपत्ति हो तो अपील की जा सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि नोटिस के बाद संबंधित पक्ष की सुनवाई और तथ्यों के आधार पर आदेश पारित किया गया.

NGT और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

इस मामले में एक और तथ्य सामने आया कि ग्रामीणों की सुनवाई न होने पर एक ग्रामीण ने एनजीटी में प्रकरण दायर किया था. जिस पर एनजीटी ने करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये का जुर्माना संबंधित पाथ कंपनी पर लगाया और अधिकारियों से रुपये लेन-देन के आरोप पर ईडी से जांच कराने का निर्देश दिया था.

इस आदेश के खिलाफ संबंधित कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां मामला लंबित है.एक और बात सामने आई कि शुरुआत में इस प्रकरण को विविध मद (B 121) में दर्ज किया गया, जबकि नियमानुसार इसे खनिज मद (A 67) में दर्ज होना चाहिए था.

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